Bihar News: बिहार चुनाव में मोदी सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर घेरेगा विपक्ष ! 1050 एकड़ जमीन पर बवाल

Bihar News: बिहार चुनाव में इस बार अडानी के मामले पर एनडीए को विपक्ष घेर सकता है। यह सब 1050 एकड़ जमीन से जुड़ा मामला है। आइए विस्तार से इस मामले को समझते हैं....

बिहार विधानसभा चुनाव
क्या ये है अभिव्यक्ति की आजादी?- फोटो : social media

Bihar News: अभिव्यक्ति की आजादी वह आजादी है जो एक इंसान को अन्याय के खिलाफ बोलने, आवाज उठाने और अपनी बातों को सबके समक्ष निडर होकर रखने की शक्ति देती है। लेकिन क्या हो जब आपसे यह आजादी छीन ली जाए? आपकी आवाज दबा दी जाए और आपकी बातों को अन्य लोगों तक पहुंचने ही नहीं दिया जाए। तब भी क्या आप इसे अभिव्यक्ति की आजादी कहेंगे? हम आज इन बातों को इसलिए कह रहे हैं कि विपक्ष और जनता का एक वर्ग आज इन सवालों को खड़ा कर रही है। देश के सर्वोच्च न्यायालय पर भी एक बड़ा वर्ग सवाल उठा रहा है। साहेब तो सवालों के घेरे में हैं ही...। अगर जनता या विपक्ष का एक वर्ग विरोध करें तो उनकी आवाजों को दबा दी जा रही है। 

डिजिटल क्रांति की अहम भूमिका

21वीं सदी में भारत में डिजिटल क्रांति गांव गांव तक पहुंच चुकी है। इसमें अभिव्यक्ति को और ज्यादा कारगर तरीके से लोगों तक पहुंचाने पर अहम भूमिका निभाई है। एक सेकेंड में ही कोई मेघालय में हुई घटना पूरे देश में वायरल हो सकती है तो दिल्ली में हुआ हादसा अगले पल केरल का आदमी जान सकता है। ऐसे में आज के समय में किसी से भी कुछ भी छुप पाना संभव नहीं है। सरकार के खिलाफ उठी एक छोटी आवाज भी गद्दी हिलाने की ताकत रखती है। गांव गांव में सोशल मीडिया की पहुंच के बाद अब सुदूर इलाके की मांग और विरोध की आवाज काफी तेजी से देश के कोने-कोने में डिजिटल माध्यम से पहुंच जाती है। 

1 रुपए में 1050 एकड़ जमीन 

हाल के दिनों में बिहार का एक चर्चित मामला सोशल मीडिया के सुर्खियों में बना हुआ है। मामला भागलपुर से जुड़ा है। भागलपुर में मात्र 1 रुपए सालाना में 1,050 एकड़ जमीन गौतम अडानी को पावर प्लांट के लिए दी गई है। कथित तौर पर इस पावर प्लांट को बनाने के लिए 10 लाख पेड़ काटे जाएंगे। यह जमीन अडानी को 33 साल के लिए दी गई है। इस वाकया के सामने आते ही जमीनी स्तर पर विरोध शुरु हो गया है। सरकार का दावा है कि इस प्लांट को बिहार में रोजगार सृजन करने के लिए किया जा रहा है। वहीं विपक्ष का कहना है कि ग्रामीणों को नजरबंद कर दिया गया है ताकि वो इसके खिलाफ धरना ना दे सकें। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार भागलपुर पीरपैंती में मौजूद इस जमीन को कागजों पर दिखाया गया है कि वो बंजर जमीन है लेकिन जब जमीनी तौर पर इसकी जानकारी जुटाई गई तो सामने आया कि इस जमीन पर 10 लाख पेड़ हैं जो पावर प्लांट के लिए काटे जाएंगे। ऐसे में विपक्ष के एक वर्ग का कहना है कि यानी "साहेब का जो मुहिम था एक पेड़ माँ के नाम...वो अब 10 लाख पेड़ कटेंगे अडानी" के नाम हो गया है"। विपक्ष का दावा यहां तक है कि किसानों को जबरदस्ती धमका कर पेंसिल से दस्तखत भी कराई गई है। सोशल मीडिया पर लगातार इससे जुड़े पोस्ट करते हुए लोग ऐसा दावा कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि इस जमीन की प्रति एकड़ कीमत 19 लाख है जिसे सिर्फ एक रुपए सालाना पर अडानी को दे दी गई है।   

एक पेड़ मां के नाम से 10 लाख पेड़ अडानी के नाम

एक और मामला सामने आया है कि जिसकी चर्चा तेज है। वो है सोशल मीडिया से 36 घंटे के अंदर कई अडानी विरोधी वीडियो को हटाना। इस मामले में एक कोर्ट ने कई पत्रकारों और मीडिया हाउस को कंटेंट हटाने का नोटिस भेजा है। नोटिस में 138 यूट्यूब लिंक और 83 इंस्टाग्राम पोस्ट हटाने को कहा गया है। हैरानी की बात यह है कि केवल खोजी रिपोर्ट ही नहीं, बल्कि व्यंग्य, इंटरव्यू और सामान्य चर्चाएं भी इस सूची में शामिल हैं। कोर्ट के सीनियर सिविल जज एक एक्स-पार्टी एड-इंटरिम इंजंक्शन जारी कर पत्रकारों और संस्थानों को अडानी समूह के खिलाफ “मानहानिकारक सामग्री” हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यदि सामग्री हटाना संभव न हो तो पांच दिन के भीतर उसे ब्लॉक किया जाए। ठीक इसी प्रकार सर्वोच्च न्यायलय के एक फैसले ने भी विवाद खड़ा कर दिया है हाल में सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा को क्लीनचिट देते हुए कहा है कि इस मामले में बार बार उठाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि एसआईटी की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा और बार बार इस मामले में अब कोर्ट में सुनावाई भी नहीं की जाएगी। वहीं विपक्ष इसको लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं और आवाज उठा रहे हैं कि जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। विपक्ष दावा कर रहा है कि ऐसे सरकार और अडानी, अंबानी के विरोध उठने वाली आवाज को दबाया जा रहा है। 

हाशिए पर मीडिया की भूमिका!

ऐसे में विपक्ष का दावा है कि अब देश में अभिव्यक्ति की आजादी केवल नाम भर है। विपक्ष का कहना है कि सरकार के गलत नीतियों को भी मीडिया के द्वारा सही रुप से प्रकाशित किए जा रहे हैं। कथित तौर पर सरकार की गलत नीतियों को सही रुप में प्रकाशित कर लोगों भरमाया जा रहा है ऐसे संस्थानों को विपक्ष "गोदी मीडिया" कहकर तंज कस रहा है। वहीं बिहार में 1 रुपए में अडाणी ग्रुप को सलाना दर पर दी गई 1,050 एकड़ जमीन और 10 लाख पेड़ को लेकर गुरुवार को कांग्रेस ने मार्च भी किया। कांग्रेस का दावा है कि सरकार ने किसानों की जमीन को हड़पी है। सूत्रों से मिली जानकारी जब पीएम मोदी पूर्णिया दौरे पर आए थे तब किसानों ने उनसे मिलने की कोशिशें भी की लेकिन किसानों को नजरबंद कर दिया गया तो वहीं कई किसानों की गिरफ्तारी भी की गई है।  

चुनाव में पलटेगी बाजी ?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित विपक्ष द्वारा पिछले लंबे अरसे से केंद्र सरकार पर स्वायत्त संस्थानों में दखल अंदाजी सहित अपने लोगो को फायदा पहुंचाने के जो आरोप लगाए जाते रहे हैं उसमें अब ये मुद्दे भी शामिल हो गए हैं। माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्ष 1,050 एकड़ भूमि देने सहित अन्य मामलों को मुद्दा बनाकर जनता के बीच जा सकती है। जिसमें लोकतंत्र में अभिव्यक्ति के हनन को भी जनता के समक्ष पेश किया जा सकता है।