बिहार में ट्रैफिक चालान के नाम पर चल रही 'जबरन वसूली!', याचिका पर पटना हाईकोर्टने जारी किया नोटिस, मांगा जवाब
ट्रैफिक चालान के नाम पर चल रही 'जबरन वसूली' पर पटना हाईकोर्ट ने सरकार को घेरा। दूसरे राज्यों की तर्ज पर बिहार में चालान निपटारे के लिए 'लोक अदालत' क्यों नहीं? प्रदूषण सर्टिफिकेट रोकने को बताया गया ब्लैकमेलिंग, सरकार और बालसा (BALSA) को नोटिस जारी
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Patna - पटना हाईकोर्ट में बिहार में ट्रैफिक चालान काटने के विवाद की सुनवाई और समाधान लोक अदालत या विशेष लोक अदालत में नहीं होने के प्रावधान के सम्बन्ध में सुनवाई की गयी।एक्टिंग चीफ जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने रानी तिवारी की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए बालसा और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया कि ट्रैफिक चालान काटे जाने सम्बन्धी विवादों की सुनवाई और सेटलमेंट विभिन्न राज्यों में लोक अदालत व विशेष लोक अदालतों में किया जाता है।उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ में लगातार दो सप्ताह अभियान चला कर ट्रैफिक चालान से सम्बन्धित विवादों की सुनवाई कर सेटलमेंट किया गया।
अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि महाराष्ट्र,गुजरात,दिल्ली जैसे राज्यों में ट्रैफिक चालान से जुड़े मामलों को लोक अदालतों द्वारा सुनवाई कर उनका समाधान होता है।लेकिन बिहार में ऐसा नहीं किया जाता है । उन्होंने बताया कि बिहार में मनमाने ढंग से ट्रैफिक चालान काटे जाते है,लेकिन यहाँ लोक अदालत के माध्यम से इन विवादों को नहीं सुलझाया जाता है।इससे लोगों परिवहन विभाग के मनमानेपन का शिकार होना पड़ता है।
अगर इन मामलों सुनवाई और सेटलमेंट लोक अदालत या विशेष लोक अदालतों द्वारा हो जाये,तो उनके समस्याओं का समाधन के किये एक फोरम उपलब्ध होगा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगर ट्रैफिक चालान लंबित हो,तो जबरदस्ती विवादित चालान भुगतान करवाया जाता है।जब तक चालान का भुगतान नहीं किया जाता,तब तक प्रदूषण सर्टिफिकेट नही बनाया जाता है।
इन विवादों के समाधान या सेटलमेंट के लिए राज्य में लोक अदालत या विशेष लोक अदालत की व्यवस्था नहीं है।इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।