Bihar Politics: तेजस्वी का 'आरक्षण मास्टरप्लान' बम! बिहार चुनाव से पहले जातीय जनगणना को बनाया हथियार, अब क्या करेगी भाजपा
Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच तेजस्वी का यह मास्टरप्लान राजद के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। सामाजिक न्याय और आरक्षण के मुद्दे को केंद्र में रखकर तेजस्वी ने पिछड़े, दलित और कमजोर वर्गों को लुभाने की कोशिश की है।

Bihar Politics: बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। केंद्र सरकार के जातीय जनगणना के ऐलान के बाद बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने न केवल मोदी सरकार और बीजेपी-आरएसएस पर तीखा हमला बोला, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक सनसनीखेज 'आरक्षण मास्टरप्लान' भी पेश कर दिया। इस मास्टरप्लान ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है। तेजस्वी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए दावा किया कि यह केवल शुरुआत है, और "पिक्चर अभी बाकी है।"
तेजस्वी का मास्टरप्लान: आरक्षण और सामाजिक न्याय का नया दांव
तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में एक के बाद एक बड़े ऐलान किए, जो बिहार की सियासत को नई दिशा दे सकते हैं। उनके मास्टरप्लान में पिछड़ों/अति पिछड़ों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र: तेजस्वी ने प्रस्ताव रखा कि पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के लिए विशेष निर्वाचन क्षेत्र बनाए जाएंगे, ताकि उनकी राजनीतिक भागीदारी बढ़े।निजी क्षेत्र में आरक्षण: निजी कंपनियों में पिछड़े, दलित और कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू की जाएगी।ठेकेदारी में आरक्षण: सरकारी और गैर-सरकारी ठेकों में कमजोर वर्गों को आरक्षण देकर उनकी आर्थिक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।न्यायपालिका में आरक्षण: न्यायिक सेवाओं में भी आरक्षण का प्रावधान लागू करने का वादा किया गया है।मंडल कमीशन की शेष सिफारिशों का क्रियान्वयन: मंडल कमीशन की बाकी सिफारिशों को लागू कर सामाजिक न्याय को और मजबूत किया जाएगा।आबादी के अनुपात में आरक्षण: जातीय जनगणना की रिपोर्ट के आधार पर विभिन्न समुदायों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा।बिहार के लिए विशेष दर्जा और पैकेज: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और केंद्र से विशेष आर्थिक पैकेज दिलाने का वादा भी मास्टरप्लान का हिस्सा है।
BJP-RSS पर तीखा हमला: "गाली देंगे, फिर चुराएंगे हमारा एजेंडा"
तेजस्वी ने बीजेपी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "उच्च मानसिकता के समता विरोधी संकीर्ण व नकारात्मक संघी, भाजपाई इस पर भी हमें गाली देंगे, लेकिन बाद में हमारे ही एजेंडे को अपना मास्टरस्ट्रोक कहकर अपनाएंगे। कितने खोखले लोग हैं ये?" तेजस्वी का यह बयान बीजेपी और आरएसएस के लिए सीधी चुनौती है, जिसमें उन्होंने इन संगठनों को सामाजिक न्याय के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की है।
जातीय जनगणना को बताया लालू की जीत
इससे पहले तेजस्वी ने केंद्र सरकार के जातीय जनगणना के फैसले को समाजवादियों, खासकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जीत करार दिया था। उनका कहना है कि यह जनगणना सामाजिक न्याय की दिशा में पहला कदम है, जिसके लिए राजद ने लंबे समय तक संघर्ष किया। अब इस मुद्दे को लेकर तेजस्वी ने अपनी रणनीति को और आक्रामक कर दिया है।
बिहार चुनाव में मास्टरप्लान का दांव
बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच तेजस्वी का यह मास्टरप्लान राजद के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। सामाजिक न्याय और आरक्षण के मुद्दे को केंद्र में रखकर तेजस्वी ने पिछड़े, दलित और कमजोर वर्गों को लुभाने की कोशिश की है। उनके इस ऐलान ने न केवल विपक्षी खेमे में हलचल मचाई है, बल्कि सत्तारूढ़ एनडीए को भी जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया है।
सियासी बवाल की शुरुआत
तेजस्वी के इस मास्टरप्लान और बीजेपी-आरएसएस पर तीखे हमले के बाद बिहार की सियासत में नया बवाल शुरू हो गया है। जहां एक तरफ राजद समर्थक इसे सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं, वहीं बीजेपी और उसके सहयोगी इसे वोटबैंक की राजनीति करार दे सकते हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी तकरार और तेज होने की संभावना है।
तेजस्वी यादव का 'आरक्षण मास्टरप्लान' न केवल बिहार की सियासत में नया रंग भर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सामाजिक न्याय के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला रहा है। अब देखना यह है कि बीजेपी और आरएसएस इस चुनौती का जवाब कैसे देते हैं और क्या तेजस्वी का यह दांव बिहार चुनाव में राजद को नई ताकत दे पाएगा?