नोटों के बिस्तर पर सोने वाले 'घूसखोर इंंजीनियर' का खेल खत्म! एक गलती ने खोल दिया 2 करोड़ के 'काले धन' का राज, अब सलाखों के पीछे बीताएंगे 4 साल

निगरानी विशेष कोर्ट ने पथ निर्माण विभाग के घूसखोर कार्यपालक अभियंता सुरेश प्रसाद सिंह और कैशियर शशि भूषण कुमार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने दोनों को रिश्वतखोरी के मामले में 4-4 साल की सजा सुनाई है।

नोटों के बिस्तर पर सोने वाले 'घूसखोर इंंजीनियर' का खेल खत्म!

Patna : निगरानी की विशेष कोर्ट ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए सोमवार को पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुरेश प्रसाद सिंह और कैशियर शशि भूषण कुमार को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश मो. रुस्तम की अदालत ने रिश्वतखोरी के छह साल पुराने मामले में दोनों आरोपियों को चार-चार वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने इंजीनियर पर 5 लाख रुपये और कैशियर पर 3 लाख रुपये का भारी-भरकम जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न भरने पर उन्हें एक महीने अतिरिक्त जेल काटनी होगी।

क्या था पूरा मामला? 

मामला वर्ष 2019 का है और यह 40 करोड़ रुपये के सड़क निर्माण प्रोजेक्ट से जुड़ा है। सरकार ने 'इंफ्राकॉन प्रोजेक्ट इंडिया लि.' को गोनवा मोड़ से अम्हारा तक सड़क बनाने का ठेका दिया था। कंपनी के मालिक अखिलेश कुमार जायसवाल ने आरोप लगाया था कि कार्यपालक अभियंता सुरेश प्रसाद सिंह एग्रीमेंट के लिए उन्हें बार-बार दौड़ा रहे थे और टाल-मटोल कर रहे थे। वरीय अधिकारियों से शिकायत के बाद किसी तरह एग्रीमेंट हुआ।

32 लाख में तय हुआ था सौदा 

जब कंपनी ने 7 किलोमीटर सड़क बना ली और 'सिक्योर्ड एडवांस' की मांग की, तो इंजीनियर सुरेश प्रसाद ने प्रोजेक्ट की कुल लागत का 1% यानी 40 लाख रुपये रिश्वत मांगी। काफी मिन्नतों के बाद सौदा 32 लाख रुपये में तय हुआ। परेशान होकर ठेकेदार ने इसकी शिकायत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance) में कर दी।

14 लाख लेते रंगे हाथ हुए थे गिरफ्तार 

8 जून 2019 को सुबह 10:30 बजे शिकायतकर्ता रिश्वत की पहली किश्त के रूप में 14 लाख रुपये लेकर इंजीनियर के पटेल नगर स्थित आवास पर पहुंचे। वहां इंजीनियर ने नोटों की गड्डी कैशियर शशि भूषण कुमार को गिनने के लिए दी। इसी दौरान पहले से घात लगाए निगरानी की टीम ने धावा बोल दिया और दोनों को 14 लाख रुपये के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।

घर बन गया था 'कुबेर का खजाना' 

गिरफ्तारी के बाद जब निगरानी टीम ने इंजीनियर के आवास की तलाशी ली, तो अधिकारियों की आंखें फटी रह गईं। घर से 2 करोड़ 36 लाख 23 हजार रुपये नकद बरामद हुए थे। इसके अलावा कई बैंक पासबुक, चेक बुक, जीवन बीमा के कागज और जमीन में निवेश के दस्तावेज भी मिले थे। निगरानी के विशेष लोक अभियोजक किशोर कुमार सिंह ने बताया कि आय से अधिक संपत्ति का एक अलग मुकदमा भी इंजीनियर के खिलाफ दर्ज किया गया था।

इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 13 गवाहों ने गवाही दी, जिसके आधार पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। कैशियर को दो अलग-अलग धाराओं में सजा मिली है, जो साथ-साथ चलेंगी।