Petrol Diesel Prices: आम आदमी की जेब पर डाका डाल रही तेल कंपनियां! पेट्रोल-डीजल पर 15 रुपया प्रति लीटर तक मुनाफा, फिर भी रेट में कमी नहीं...जुगाड़ के आगे सब फेल...
Petrol Diesel Prices: भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले एक साल से स्थिर बनी हुई हैं, जबकि तेल कंपनियों को इन उत्पादों पर प्रति लीटर ₹12 से ₹15 का लाभ हो रहा है।

Petrol Diesel Prices: ट्रम्प के टैरिफ युद्ध के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में हलचल देखने को मिल रही है। लेकिन देश की तेल कंपनियाँ इस समय अत्यधिक लाभ कमा रही हैं, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें चार वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई हैं। अप्रैल 2021 में, कच्चे तेल की कीमत 63.40 डॉलर प्रति बैरल थी। इस गिरावट के कारण पेट्रोल और डीजल के रिफाइनिंग से होने वाला लाभ ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुँच गया है।
भारत में पेट्रोलियम उत्पादों का वितरण मुख्य रूप से सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों (IOC, BPCL, HPCL) द्वारा किया जाता है। चूंकि इनका बाजार पर एकाधिकार जैसा प्रभाव है, इसलिए इनके ऊपर प्रतिस्पर्धात्मक दबाव कम होता है कि वे तुरंत दाम घटाएं।वर्तमान में पेट्रोल-डीजल पर प्रति लीटर 15 रुपये तक का मुनाफा हो रहा हो।
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले एक साल से स्थिर बनी हुई हैं, जबकि तेल कंपनियों को इन उत्पादों पर प्रति लीटर ₹12 से ₹15 का लाभ हो रहा है। यह लाभ कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण संभव हुआ है, जो चार साल के सबसे निचले स्तर (65.41 डॉलर प्रति बैरल) पर पहुंच गई हैं। इसके बावजूद, तेल कंपनियों ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कीमतें नहीं घटाई हैं।
देश में प्रति व्यक्ति मासिक ईंधन खपत औसतन 9 लीटर है, जिसके लिए सरकार द्वारा लगभग ₹298 का टैक्स वसूला जाता है। इसमें केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल पर ₹21.90 और डीजल पर ₹17.80 एक्साइज ड्यूटी शामिल है। इसके अलावा, राज्य सरकारें भी वैट और अन्य कर लगाती हैं, जिससे कुल टैक्स बोझ बढ़ जाता है।
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारत की प्रमुख तेल कंपनियों ने पिछले पांच वर्षों में भारी मुनाफा कमाया है। उदाहरण के लिए, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अकेले पिछले पांच वर्षों में ₹2.86 लाख करोड़ का लाभ कमाया है। इस अवधि में केवल इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन को एक बार मामूली घाटा हुआ था।
सरकार ने हाल ही में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर इसे प्रति लीटर ₹2 बढ़ा दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि कंपनियों के मुनाफे को बढ़ाया जा सके और सरकारी राजस्व में वृद्धि हो सके। इससे आम आदमी की जेब पर कोई सीधा असर नहीं पड़ने का दावा किया गया है।
बहरहाल ट्रम्प के टैरिफ युद्ध के परिणामस्वरूप, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 8-10 डॉलर प्रति बैरल तक कम हो गई हैं। इन घटती कीमतों का लाभ उठाते हुए, भारतीय रिफाइनरी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के सौदों में सक्रिय हैं। पेट्रोल और डीजल अब एक 'राजनीतिक वस्तु' के रूप में उभर चुके हैं। हालांकि सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को बाजार के अधीन कर दिया है, लेकिन पिछले एक से डेढ़ वर्ष में, सरकार ने अपने अनुसार इन कीमतों को घटाने और बढ़ाने का कार्य किया है।यहीं कारण है कि पेट्रोल-डीजल पर ₹15 लीटर तक मुनाफा होने के बावजूद कंपनियां रेट नहीं घटा रही हैं।