LATEST NEWS

Bihar News : जनसुराज की फंडिंग पर बुरे घिरे प्रशांत किशोर ! जदयू प्रवक्ता नीरज ने सबूत दिखाकर खोला मोर्चा, कॉर्पोरेट लॉबी का राजनीतिक स्टंट

बिहार की राजनीति में नया इतिहास रचने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर अब जनसुराज की फंडिंग पर जदयू के निशाने पर आ गए हैं. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने सबूत के साथ कई सवाल किए हैं.

Neeraj kumar
Neeraj kumar on Prashant Kishor- फोटो : news4nation

Bihar News : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार एवं जदयू नेता अजीत पटेल द्वारा सोमवार को  एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर प्रशांत किशोर की राजनीतिक गतिविधियों एवं जन सुराज और उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर संदेह जताया गया। उन्होंने कहा कि जन सुराज पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चेहरा तक सामने नहीं आता, प्रशांत किशोर स्वयं को पार्टी का संरक्षक बताते हैं, लेकिन चुनाव आयोग के दस्तावेजों में उनका नाम दर्ज नहीं है। इससे पार्टी के वास्तविक नेतृत्व और नियंत्रण को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।


उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर की पार्टी को प्रत्यक्ष रूप से फंडिंग नहीं मिल रही, बल्कि 'Joy of Giving Global Foundation' नामक NGO को आर्थिक सहायता प्राप्त हो रही है। इस NGO का वित्तीय प्रबंधन संदिग्ध व्यक्तियों के हाथों में है, जो बार-बार अपने निदेशकों को बदलते रहते हैं। 


नीरज ने कहा कि राजनीतिक उ‌द्देश्यों के लिए NGO का इस्तेमाल कानूनी और नैतिक रूप से गलत है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस NGO को 48.75 करोड़ रुपये की डोनेशन प्राप्त हुई, जिसमें सबसे बड़ा डोनेशन (₹14 करोड़) रामसेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड से आया है। बिहार की राजनीति के लिए ज्यादातर चंदा तेलंगाना और हैदराबाद की कंपनियों से क्यों आ रहा है, यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। उन्होंने कहा कि कई कंपनियों की वास्तविक पूंजी बहुत कम है, लेकिन उन्होंने करोड़ों रुपये का दान दिया है। 


 बार-बार बदले निदेशक 

उन्होंने कहा कि 'रामसेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड' जैसी कंपनियों के नाम और निदेशक बार-बार बदले गए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इन कंपनियों के माध्यम से काले धन को सफेद किया जा रहा है। प्रशांत किशोर खुद को गांधीवादी बताते हैं, लेकिन उनकी पदयात्रा पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि गांधी मैदान में दरियां और कंबल के भाड़े का भुगतान तक नहीं किया गया। Joy of Giving Global Foundation के माध्यम से फंडिंग कर पब्लिसिटी की जा रही है, जिससे यह पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में आती है।


प्रशांत किशोर तय करें पारदर्शिता

Joy of Giving Global Foundation एक चैरिटेबल संस्था के रूप में पंजीकृत है, लेकिन इसे राजनीतिक कार्यों में लिप्त पाया गया है। इसके निदेशक हर 2-3 वर्षों में बदल दिए जाते हैं, जिससे जवाबदेही तय न हो सके। इस NGO के माध्यम से प्रशांत किशोर की पार्टी को अपारदर्शी रूप से फंडिंग दी जा रही है। यदि प्रशांत किशोर पारदर्शिता की बात करते हैं, तो उन्हें अपनी पार्टी की वित्तीय जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए।


वित्तीय पारदर्शिता करें सुनिश्चित

उन्होंने कहा कि यह भी संदेह उत्पन्न होता है कि क्या प्रशांत किशोर बिहार में कॉर्पोरेट लॉबी का नया राजनीतिक मॉडल ला रहे हैं ? क्या यह 1857 से पहले के ईस्ट इंडिया कंपनी के मॉडल की पुनरावृत्ति है? बिहार की जनता कॉर्पोरेट द्वारा राजनीति के नियंत्रण को स्वीकार नहीं करेगी। प्रशांत किशोर द्वारा प्रस्तुत राजनीतिक बदलाव का मॉडल संदेह के घेरे में है। यदि वे सच में बिहार के भविष्य के लिए काम कर रहे हैं, तो उन्हें अपनी पार्टी की वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। अन्यथा, यह पूरा अभियान सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट और कॉर्पोरेट लॉबी का खेल प्रतीत होता है। बिहार की जनता को अब यह तय करना होगा कि उन्हें पारदर्शिता चाहिए या एक और राजनीतिक ड्रामा ! 

अभिजीत की रिपोर्ट 

Editor's Picks