Bihar Assembly Speaker: कांग्रेस का गढ़ फतह करने वाले प्रेम कुमार की ताजपोशी तय, विधानसभा की स्पीकर के पद पर नई इबारत लिखने को एनडीए तैयार,विपक्ष को नया सियासी संदेश
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठतम और कद्दावर नेता डॉ. प्रेम कुमार ने स्पीकर पद के लिए अपना नामांकन दाख़िल कर दिया...अब स्पीकर पद की कुर्सी पर उनकी ताजपोशी तय मानी जा रही है...
Bihar Assembly Speaker: बिहार की सियासत में एक बार फिर एनडीए का पलड़ा भारी साबित हुआ है और पूर्ण बहुमत की ताक़त ने सरकार को मजबूती के साथ ताज सौंप दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्रिमंडल ने शपथ लेकर सत्ता की कमान संभाल ली है, मगर विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी अब तक खाली थी। इसी सियासी ख़ला को भरने के लिए सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठतम और कद्दावर नेता डॉ. प्रेम कुमार ने स्पीकर पद के लिए अपना नामांकन दाख़िल कर दिया। गया सिटी से लगातार 9 बार विधायक चुने जाने वाले डॉ. प्रेम कुमार बिहार की तख़्तगाह पर चार दशकों से अपने राजनीतिक अनुभव और ज़मीनी पकड़ के दम पर असरदार मौजूदगी रखते आए हैं।
नामांकन प्रक्रिया विधानसभा सचिव के कक्ष में पूरी की गई और आंकड़ों की जब बात आती है तो एनडीए के स्पष्ट बहुमत के चलते उनका अध्यक्ष बनना लगभग मुकम्मल माना जा रहा है। विपक्ष की तरफ़ से किसी उम्मीदवार के मैदान में न आने के बाद यह साफ हो गया है कि उनका निर्वाचन बिला मुकाबला, यानी निर्विरोध होने जा रहा है। बीजेपी में उनकी वरिष्ठता, संसदीय परंपराओं की समझ और राजनीतिक संतुलन साधने की क्षमता को देखते हुए एनडीए ने उन पर भरोसा जताया है।
70 वर्षीय डॉ. प्रेम कुमार की राजनीतिक यात्रा बेहद दिलचस्प और संघर्षपूर्ण रही है। एमए, एलएलबी और पीएचडी जैसे उच्च शैक्षणिक गौरव के साथ उन्होंने 1990 में पहली बार चुनावी मैदान में प्रवेश किया। उस दौर में कांग्रेस का वर्चस्व अटूट माना जाता था, लेकिन प्रेम कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार जय कुमार पालित को मात देकर अपनी सियासी पारी की धमाकेदार शुरुआत की। पिछले 35 सालों में उनके प्रतिद्वंद्वी बदलते रहे, मगर गया टाउन की जनता का फैसला कभी नहीं बदला हर चुनाव में जीत का सेहरा प्रेम कुमार के सिर सजता रहा।
अत्यंत पिछड़ी जाति से ताल्लुख रखने वाले प्रेम कुमार का जातीय समीकरण भी उनके पक्ष में काम करता रहा है। वैश्य समाज में उनकी मजबूत पैठ ने उनकी जड़ें और दृढ़ कर दीं। 1980–85 के बीच गया टाउन सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन 1990 के बाद तस्वीर हमेशा के लिए बदल गई। भाजपा ने यहाँ अपना पैर जमाया और फिर यह क्षेत्र डॉ. प्रेम कुमार और बीजेपी की पहचान का पर्याय बनकर रह गया—न पार्टी ने उम्मीदवार बदला, न जनता ने विधायक।
अब स्पीकर पद की कुर्सी पर उनकी ताजपोशी तय मानी जा रही है, और बिहार विधानसभा एक ऐसे अनुभवी नेता का नेतृत्व पाकर नए राजनीतिक अध्याय में क़दम रखने को तैयार है।