Land for Job Case: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लालू यादव और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आज यानी गुरुवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सीबीआई ने कोर्ट को जानकारी दी कि सभी पूर्व लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त हो चुकी है।
इस दिन होगी अलगी सुनवाई
सीबीआई ने यह भी बताया कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकरण से पहले ही अनुमति मिल गई थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दायर पूरक आरोपपत्र (सप्लीमेंट्री चार्जशीट) पर संज्ञान लेने के लिए 7 फरवरी की तारीख तय की है। यानी अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। गौरतलब है कि इससे पहले 23 दिसंबर और 16 जनवरी को होने वाली सुनवाई कुछ कारणों से टल गई थी। जिसके बाद आज सुनवाई हुई और कोर्ट ने आरोपियों पर मुकदमा चलाने की मंजुरी दे दी है।
पहले ही जमानत मिल चुकी है
7 अक्टूबर 2023 को हुई सुनवाई में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत मिल गई थी। राउज एवेन्यू कोर्ट ने सभी को 1-1 लाख के निजी मुचलके पर जमानत दी थी और पासपोर्ट सरेंडर करने का निर्देश दिया था।
जनवरी 2024 में लालू और तेजस्वी से हुई थी पूछताछ
20 जनवरी 2024 को ED की दिल्ली और पटना टीम ने लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव से 10 घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की थी। सूत्रों के मुताबिक, लालू से 50 से ज्यादा सवाल पूछे गए, जिनमें उन्होंने ज्यादातर जवाब 'हां' या 'ना' में दिए। पूछताछ के दौरान वे कई बार झुंझला भी गए थे। तेजस्वी यादव से 30 जनवरी को करीब 10-11 घंटे तक पूछताछ की गई थी।
क्या है मामला?
लालू परिवार पर आरोप है कि रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले उम्मीदवारों से जमीन ली गई। इसमें मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों की संलिप्तता बताई जा रही है। तेजस्वी यादव पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में 150 करोड़ रुपये का बंगला बेहद सस्ते दाम में खरीदा, जो कथित रूप से रेलवे में नौकरी पाने वाले एक उम्मीदवार से लिया गया था।
क्या है लैंड फॉर जॉब घोटाला?
"लैंड फॉर जॉब" घोटाला उस कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है, जिसमें राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर आरोप है कि उन्होंने रेलवे में नौकरियां देने के बदले जमीनें लीं। यह घोटाला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे।
क्या हैं आरोप?
सीबीआई के अनुसार, लालू यादव ने पटना के 12 लोगों को गुपचुप तरीके से रेलवे के ग्रुप डी पदों पर नौकरी दी और इसके बदले उनसे अपने परिवार के सदस्यों के नाम जमीनें लिखवा लीं। जांच एजेंसी का दावा है कि जिन उम्मीदवारों को नौकरी दी गई, उनके परिवार के सदस्यों ने लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव के नाम जमीन की रजिस्ट्री करवाई। ये प्लॉट्स नाममात्र की कीमत पर नकद भुगतान कर खरीदे गए।
सीबीआई की जांच और केस का दर्ज होना
सीबीआई को अपनी जांच में ऐसे सात उदाहरण मिले, जहां उम्मीदवारों को रेलवे में नौकरी तब मिली जब उनके परिवार ने लालू परिवार को अपनी जमीन हस्तांतरित की। इस मामले की प्रारंभिक जांच 2021 में शुरू हुई और बाद में इसे आधिकारिक केस में बदल दिया गया। अब इस घोटाले में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, मीसा भारती और हेमा यादव आरोपी हैं, जिन पर राउज एवेन्यू कोर्ट में मुकदमा चल रहा है।