PATNA - बिहार विधान परिषद से सुनील सिंह के निष्कासन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान दोनों की पक्षों के तरफ से जोरदार बहस हुई. सुनील सिंह के तरफ से देश के जाने माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी, गोपाल नारायणन, यस जोहरी ने पक्ष रखा, तो बिहार सरकार के तरफ से वकील रंजीत कुमार और चुनाव आयोग के तरफ से मीनाक्षी अरोड़ा ने बहस किया. तीनों पक्ष की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब लिखित रूप जल्द सामने आएगा.
बता दें कि सुनील सिंह को 26 जुलाई 2024 को बिहार विधान परिषद में आपतिजनक आचरण के लिए सदन से निष्कासित कर दिया गया था. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के करीबी समझे जाने वाले सुनील सिंह पर 13 फरवरी 2024 को सदन में कहासुनी के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारे लगाने का आरोप था.
सुनील सिंह पर आरोप है कि उन्होंने सदन में नीतीश कुमार को पलटूराम कहा था. हालांकि सुनील सिंह इन आरोपों से कभी पीछे नहीं हटे. सुनील आज भी कहते हैं कि नीतीश कुमार को पूरे बिहार की जनता पलटूराम कहती है. आप गुगल पर सर्च करिएगा पलटूराम शब्द तो नीतीश कुमार का नाम ही आएगा.
गौरतलब है कि बिहार विधान परिषद में सुनील सिंह की खाली हुई सीट के लिए एनडीए के तरफ जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशी ललन प्रसाद ने 9 जनवनरी को नामांकन का पर्चा भी दाखिल किया था. इसका रिजल्ट 16 जनवरी को आने वाला था. मगर, रिजल्ट से एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी.
ललन प्रसाद के नामांकन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा सहित मंत्रिमंडल के कई अन्य सदस्य और नेता मौजूद थे. ललन प्रसाद को नीतीश कुमार का करीबी बताया जाता है. शेखपुरा जिले के सुजावलपुर गांव के रहने वाले ललन प्रसाद काफी दिनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ जुड़े हुए हैं. जबकि, सुनील सिंह को बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का मुंहबोला भाई बताया जाता है.