फर्जी डिग्री वाले शिक्षकों पर 'सर्जिकल स्ट्राइक': बिहार में 1700 से अधिक FIR, 2900 मास्टर साहब नपे
फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसता जा रहा है और निगरानी विभाग आने वाले समय में और भी सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है।
बिहार में शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने नियोजित शिक्षकों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, वर्ष 2006 से 2015 के बीच नियुक्त हुए शिक्षकों के अंक पत्रों और प्रमाण पत्रों की सघन जांच की जा रही है। यह पूरी प्रक्रिया शिक्षा विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए 'फोल्डर' के आधार पर हो रही है, जिसमें यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि डिग्री किस विश्वविद्यालय या बोर्ड से ली गई है और वह वैध है या नहीं।
जांच के बड़े आंकड़े: 6 लाख से अधिक सर्टिफिकेट्स की जांच
30 दिसंबर 2025 तक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, निगरानी विभाग ने अब तक 6,56,395 प्रमाण पत्रों की जांच सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। इस व्यापक जांच के परिणामस्वरूप अब तक कुल 1,711 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें 2,916 नियोजित शिक्षकों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। अकेले वर्ष 2025 में ही 130 नए मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें अनुसंधान के लिए जिला पुलिस को सौंप दिया गया है।
सजा दिलाने पर जोर: निगरानी ब्यूरो का कड़ा रुख
निगरानी विभाग का उद्देश्य केवल केस दर्ज करना नहीं, बल्कि दोषियों को सजा के अंजाम तक पहुँचाना भी है। विभाग की मुस्तैदी का ही परिणाम है कि इस साल अब तक 29 भ्रष्टाचार के मामलों में न्यायालय द्वारा सजा सुनाई जा चुकी है, जो पिछले वर्ष (18 मामले) की तुलना में काफी अधिक है। विशेष रूप से पटना की निगरानी अदालत द्वारा इन मामलों में त्वरित सुनवाई और दोषसिद्धि सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है।
भविष्य की रणनीति: भ्रष्टाचार पर अंतिम प्रहार
आने वाले समय में निगरानी विभाग आय से अधिक संपत्ति, पद के दुरुपयोग और ट्रैप के मामलों में और भी कड़ाई बरतने की तैयारी में है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि केवल चार्जशीट दाखिल करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि एक मजबूत टीम वर्क के जरिए भ्रष्टाचारियों को कानून के कटघरे में खड़ा कर सजा दिलाना प्राथमिकता है। यह कार्रवाई फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी हथियाने वालों के लिए एक कड़ा संदेश है कि अब कोई भी बचने वाला नहीं है।