Bihar politics - दलित, पिछड़े एवं गरीब तबके के लोगों के अधिकार छीनने का षडयंत्र है ‘वोटर लिस्ट रिवीजन’ रालोजपा ने केंद्र पर लगाया चुनाव आयोग का राजनीतिकरण
Bihar politics - वोटर लिस्ट रिवीजन का विरोध करनेवालों में अब पशुपति पारस की पार्टी भी शामिल हो गई है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने इसे गरीब, दलित-पिछड़े लोगों के वोट का अधिकार छीनने की साजिश बताया।

Patna - राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी एवं दलित सेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने राज्य में चल रहे मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इस प्रक्रिया को पूरी तरह से अव्यवहारिक एवं अलोकतांत्रिक बताया।
श्री अग्रवाल ने कहा कि राज्य में वोटर लिस्ट रिवीजन की आड़ में दलित, पिछड़े एवं गरीब तबको के वोटरों का नाम वोटर लिस्ट से काटने का बड़ा षड्यंत्र चुनाव आयोग के द्वारा रचा गया है। श्री अग्रवाल ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार वंचित एवं गरीब तबकें के लोगों का वोट छीनने का काम चल रहा है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि केंद्र की सरकार द्वारा चुनाव आयोग का राजनीतिकरण किया जा रहा है जो लोकतंत्र के लिए बेहद ही गंभीर खतरा है। ऐसा लग रहा है भारतीय जनता पार्टी जिन मतदाताओं एवं नागरिकों को वोटर मानेगी, उसे ही चुनाव आयोग के द्वारा मतदाता सूची में स्थान दिया जायेगा।
संविधान से मिला अधिकार छीनने की कोशिश
श्री अग्रवाल ने कहा कि पहले भी मतदाता सूची का पुनरीक्षण अभियान चलाया गया था, लेकिन कभी भी चुनाव आयोग इतने गंभीर आरोप नहीं लगे थे। श्री अग्रवाल ने कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के द्वारा यह तर्क दिया गया था और कहा गया था देश के प्रत्येक नागरिको को वोट देने का अधिकार है, यह एक कार्यशील लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है, लेकिन अब बिहार से इस तर्क को मिटाने का प्रयास किया जा रहा हैं।
श्री अग्रवाल ने आगे कहा कि एसआईआर की जो प्रक्रिया राज्य मे जो चल रही है, विधानसभा चुनाव में भाजपा चुनाव चुराने की तैयारी कर रही है। मतदाता पुनरीक्षण को लेकर हर स्तर पर संशय बना हुआ है।
बीएलओ को पूरी जानाकारी नहीं
चुनाव आयोग का हर कदम रहस्य बना हुआ है। बीएलओ तक को पूरी जानकारी नहीं दी गयी है। बीएलओ भी कन्फ्यूज हैं। कोई बीएलओ दस्तावेज मांग रहा है तो कोई ऐसे ही फार्म ले रहा है। यह सब एक बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करता है। आखिर मतदाता पुनरीक्षण को लेकर स्पष्टता क्यों नहीं हैं ? कई चीजें छिपायी जा रही है। वोटर लिस्ट रिवीजन की सारी प्रक्रिया पर्दें के पीछे से संचालित की जा रही है।
साजिश के तहत गरीबों को लिस्ट से हटाने की साजिश
श्री अग्रवाल ने कहा कि चुनाव आयोग के इस अभियान और प्रक्रिया में सिर्फ पिछड़े, दलित और गरीबों एवं अल्पसंख्यकों को ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्पष्ट साजिश है कि ये लोग विधानसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया में शामिल ना हो सके और उन्हें मतदान से वंचित किया जा सके।
चुनाव आयोग के सहारे ऐसा करके एनडीए जो बिहार में फिर से किसी भी प्रकार से कोई भी हथकंडा अपनाकर सरकार बनाना चाहती है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी एवं दलित सेना तथा सभी सामाजिक न्याय में विश्वास रखने वाली पार्टियां भाजपा एवं एनडीए गठबंधन के इस नापाक मंसूबे कभी भी कामयाब नहीं होने देगी।
यदि आगे जरूरत पड़ा तो चुनाव आयोग के इस अभियान के खिलाफ हमारी पार्टी एवं दलित सेना सड़क पर उतरेगी और जनसहयोग से एक बड़ा आंदोलन भी खड़ा करेंगी।
श्री अग्रवाल ने देश के निर्वाचन आयोग से यह भी कहा कि देश के सुप्रीम कोर्ट में राज्य में चल रहे मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण को लेकर 28 जुलाई को सुनवाई होनी है जब तक सुप्रीम कोर्ट का इसे लेकर अंतिम फैसला नहीं आ जाता इस अभियान पर रोक लगाना चाहिए।