मंगनी लाल मंडल को लालू-तेजस्वी ने क्यों बनाया पार्टी अध्यक्ष जिन्हें नहीं मालूम 'उनकी कितनी पत्नी है', सांसदी हुई थी रद्द, दलबदलू का इतिहास, जानिए सबकुछ
मंगली लाल मंडल का बिहार राजद अध्यक्ष बनना तय है. 76 साल के मंडल के साथ कई किस्म के विवाद भी रहे हैं जिसमें संसद सदस्यता जाने से जुड़ा कोर्ट का फैसला भी था.

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राजद के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मंगनी लाल मंडल की ताजपोशी होनी तय है. 76 साल के मंगनी लाल मंडल पर लालू यादव और तेजस्वी यादव ने बड़ा भरोसा जताया है. लेकिन मंगनी लाल मंडल का सियासी इतिहास दलबदलू का भी रहा है और यहां तक कि इनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द करने पर पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने एक बार निर्णय सुनाया था. इतना ही नहीं मंगनी लाल मंडल की कितनी पत्नियां यह भी उन्हें याद नहीं. और तो और पत्नी -बेटे के साथ मारपीट करने के आरोप भी झेल चुके हैं. यहां तक कि नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी तो उनके खिलाफ ही बयानबाजी करने लगे जिस कारण इन्हें जदयू से निकाला गया. वहीं सम्पत्ति बनाने के मामले में मंगनी लाल मंडल ने पांच साल में 15 गुणा की तेजी से करोड़ों की सम्पत्ति अर्जित की. इन सब विवादों के बाद भी धानुक समाज से आने वाले मंगनी लाल मंडल को राजद प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी लालू यादव और तेजस्वी यादव ने दी है.
सांसद बनने के लिए छोड़ा लालू का साथ
मंगनी लाल मंडल का सियासी सफर 1986 में बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में शुरू हुई. वे 2004 तक एमएलसी के रूप में रहे. करीब 18 साल तक एमएलसी रहने वाले मंगनी लाल मंडल ने मंत्री के रूप में लालू-राबड़ी सरकार में अपनी भूमिका निभाई. वहीं वर्ष 2004 में लालू यादव ने मंगनी को राज्यसभा भेज दिया. उनका कार्यकाल 2009 तक था लेकिन इसके पहले ही उन्होंने पार्टी बदल ली. दरअसल बिहार में वर्ष 2005 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. इसके साथ ही लालू यादव कमजोर पड़ने लगे. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के पहले नीतीश कुमार की लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई. तो सियासी रुख को भांपते हुए मंगनी लाल मंडल भी राजद छोड़कर जदयू में आ गए.
लोकसभा सदस्यता हुई रद्द
2009 में जदयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले मंगनी लाल मंडल पर चुनावी हलफनामे में जानकारी छिपाने का आरोप लगा. इसे लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट विष्णु देव भंडारी ने मंडल की सदस्यता को चुनौती दी. मामला पटना हाई कोर्ट तक गया. नवम्बर 2011 में पटना हाई कोर्ट ने मंडल को दोषी पाते हुए उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी. दरअसल, मंगनी लाल मंडल पर पत्नी की कुल संख्या छिपाने का आरोप था. बाद में 1 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने भी पटना हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. हालांकि 8 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने उनकी सदस्यता को रद्द करने के फैसले को निरस्त कर दिया.
नहीं मालूम कितनी पत्नी
दरअसल, मंगनी लाल मंडल का चुनावी हलफनामा में पत्नी की जानकारी नहीं देने से जुड़े मामले में जब पटना हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही थी तब एक रोचक मामला हुआ था. मंगनी ने दो जगहों पर अपनी अलग-अलग पत्नियों के साथ वोट दिया था. वहीं, पहली पत्नी के पास मौजूद सम्पत्ति का खुलासा भी नहीं किए थे. इस पर सुनवाई करते हुए जब कोर्ट यह जानना चाहा कि उनकी कितनी पत्नियां है. इसके जवाब में मंगनी लाल ने कहा कि उनकी कितनी पत्नियां हैं वह नहीं जानते हैं. हालांकि बाद में उन्होंने कहा था कि उनकी दो पत्नी हैं.
15 गुणा बढ़ी सम्पत्ति
मंगनी लाल मंडल के चुनावी हलफनामे के अनुसार वर्ष 2009 में उनकी सम्पत्ति 53 लाख रुपए के आसपास थी. वहीं पांच साल के बाद 2014 में उनकी संपत्ति बढ़कर 7 करोड़ 69 लाख रुपए की हो गई. एक तरह से देखा जा जाए तो यह पांच साल में 15 गुणा की बढ़ोत्तरी थी.
नीतीश ने पार्टी से निकाला
वर्ष 2009 में जदयू से लोकसभा चुनाव जीतने वाले मंगनी लाल मंडल ने अपने ही दल के खिलाफ जाकर बयानबाजी थी. लोकसभा चुनाव 2014 के पहले उन्होंने कहा था कि देश में दो ही नेता की हवा चल रही एक नरेंद्र मोदी और दूसरे लालू यादव, उनके इस बयान के बाद उन्हें नीतीश कुमार ने जदयू निकाल दिया था. हालांकि बाद में फिर से वे जदयू में शामिल हो गए. वहीं पिछले वर्ष ही एक बार फिर वे जदयू छोड़कर राजद में आ गए.
पत्नी से मारपीट
लोकसभा चुनाव 2014 के पहले मंगनी लाल मंडल अपनी ही पत्नी से मारपीट के आरोपों को लेकर विवादों में घिरे थे. वर्ष 2013 में जब वे अपने पैतृक गांव फुलपरास गए थे तब उनकी पहली पत्नी और बेटे के साथ कहासुनी हुई जो कथित रूप से मारपीट तक आई. इसे लेकर थाने में मामला भी दर्ज हुआ.