BJP Working President : बीजेपी का 'टाइमिंग' गेम, नितिन नबीन को पार्टी ने सीधे क्यों नहीं बनाया राष्ट्रीय अध्यक्ष, जानिए पूरी इनसाइड स्टोरी
BJP Working President : बीजेपी ने बिहार के मंत्री और पांच बार के MLA नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है, जानिए सीधे क्यों नहीं बने राष्ट्रीय अध्यक्ष....
PATNA : भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लेते हुए बिहार सरकार के मंत्री नितिन नबीन को पार्टी का नया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। पांच बार के विधायक नबीन की इस पदोन्नति ने सियासी गलियारों में हलचल तेज कर दी है। गौरतलब है कि बीजेपी के मूल संविधान में कार्यकारी अध्यक्ष का प्रावधान नहीं है, लेकिन 2019 में जे.पी. नड्डा की नियुक्ति के बाद यह दूसरी बार है जब पार्टी ने इस 'विशेष पद' का सहारा लेकर नेतृत्व परिवर्तन की नींव रखी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नितिन नबीन की अचानक हुई इस ताजपोशी के पीछे 'खरमास' का बड़ा कारण माना जा रहा है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति (14 जनवरी) तक शुभ कार्यों पर रोक रहती है। ऐसे में बीजेपी ने खरमास शुरू होने से ऐन पहले यह अंतरिम व्यवस्था लागू कर दी है। अब 14 जनवरी तक नितिन नबीन संगठन के कामकाज को संभालेंगे और मकर संक्रांति के बाद ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की विधिवत प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।
नितिन नबीन को सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष न बनाकर कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के पीछे तकनीकी कारण भी हैं। बीजेपी के संविधान के तहत, अध्यक्ष चुनाव के लिए कम से कम 50% राज्यों में सांगठनिक चुनाव पूरे होने चाहिए। फिलहाल 37 में से 30 राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में चुनाव संपन्न होने के बाद ही जनवरी के अंत या फरवरी में नए अध्यक्ष का मार्ग प्रशस्त होगा, जिस पर अप्रैल में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में अंतिम मुहर लगेगी।
राजनीतिक विश्लेषक इस नियुक्ति को नबीन के लिए एक 'लर्निंग पीरियड' के तौर पर देख रहे हैं। जिस तरह 2019 में जे.पी. नड्डा ने अमित शाह के साथ रहकर संगठन की कार्यप्रणाली सीखी थी, उसी तरह अब नितिन नबीन वर्तमान अध्यक्ष नड्डा के साथ समन्वय बिठाकर राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारियों को समझेंगे। आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी नेतृत्व में किसी भी तरह का शून्य नहीं रहने देना चाहती, इसीलिए यह सुचारु संक्रमण (Smooth Transition) सुनिश्चित किया गया है।
नितिन नबीन का राष्ट्रीय फलक पर यह उदय बिहार की राजनीति के लिए भी बड़े संकेत है। एक युवा और अनुभवी चेहरे को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकर बीजेपी ने आगामी चुनावों के लिए अपनी रणनीति साफ कर दी है। अब सबकी नजरें 14 जनवरी के बाद होने वाले बड़े सांगठनिक बदलावों पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि नितिन नबीन को स्थायी तौर पर संगठन की कमान मिलती है या उन्हें किसी और बड़ी भूमिका के लिए तैयार किया जा रहा है।