तेजस्वी यादव की वजह से लालू-राबड़ी परिवार को क्यों छोड़ना पड़ेगा 10 सर्कुलर रोड? जानिए इसका सच

तेजस्वी यादव ने कई साल पहले बंगला बेदखली को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उस समय चीफ जस्टिस ए पी साही और जस्टिस अंजना मिश्रा की डिवीजन बेंच के सामने अपील की थी.लंबी बहस के बाद, हाई कोर्ट ने 19 फरवरी 2019 को एक अहम फैसला सुनाया था.

तेजस्वी यादव की वजह से लालू-राबड़ी परिवार को क्यों छोड़ना पड
तेजस्वी यादव की वजह से लालू-राबड़ी परिवार को क्यों छोड़ना पड़ेगा 10 सर्कुलर रोड?- फोटो : NEWS 4 NATION

बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद लालू परिवार को अपना दशकों पुराना पता 10 सर्कुलर रोड खाली करना पड़ रहा है। 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने और राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री आवास (1 अणे मार्ग) खाली करने के बाद, उन्हें 10 सर्कुलर रोड आवंटित किया गया था। मुख्यमंत्री के आवास के ठीक बगल में स्थित यह बंगला तब से ही लालू परिवार का आधिकारिक निवास रहा है। हालांकि, राबड़ी देवी की राजनीतिक भूमिका (विधान परिषद में विपक्ष की नेता) के कारण यह बंगला उनके नाम पर बना रहा और धीरे-धीरे राज्य में सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक आवासों में से एक बन गया। इतने वर्षों में कई राजनीतिक गठबंधनों के बावजूद, नीतीश कुमार ने कभी भी इस पते को नहीं बदला था।

राबड़ी देवी को आवंटित हुआ नया आवास

इस बार का राजनीतिक माहौल अलग है, और इसका असर सरकारी फैसलों पर भी दिख रहा है। हाल ही में, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट ने राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड खाली करने का नोटिस जारी करते हुए, उन्हें 39 हार्डिंग रोड पर एक नया, बड़ा आवास आवंटित किया है। राबड़ी देवी वर्तमान में विधान परिषद में विपक्ष की नेता हैं, और इसी पद की पात्रता के आधार पर यह नया बंगला उन्हें केंद्रीय पूल से दिया गया है। नोटिस जारी होने के बाद, राबड़ी देवी के पास 10 सर्कुलर रोड खाली करने के अलावा कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है।

हाई कोर्ट के 2019 के फैसले की बाधा

राबड़ी देवी के लिए इस फैसले को कानूनी चुनौती देना मुश्किल है क्योंकि पटना हाई कोर्ट ने 2019 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था, जिसने पूर्व मुख्यमंत्रियों के विशेष अधिकारों को समाप्त कर दिया था। इस फैसले में यह स्पष्ट कर दिया गया था कि एक पूर्व मुख्यमंत्री 10 सर्कुलर रोड जैसे बड़े बंगले की मांग नहीं कर सकता। दिलचस्प बात यह है कि यह वही कानूनी बाधा है जो 2017 में तेजस्वी यादव द्वारा दायर की गई और हारी गई एक याचिका से उत्पन्न हुई थी। तेजस्वी ने 5 देशरत्न मार्ग खाली करने के नीतीश सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने 19 फरवरी 2019 को राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगला, गाड़ी और सुरक्षा जैसी सुविधाएं वापस लेने का आदेश दिया था।

तेजस्वी की पुरानी चुनौती ने बंद किए कानूनी रास्ते

हाई कोर्ट के 2019 के फैसले का सीधा असर राबड़ी देवी, जगन्नाथ मिश्रा और जीतन राम मांझी जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पड़ा था। उस फैसले के बाद ही राबड़ी देवी 10 सर्कुलर रोड को केवल इसलिए अपने पास रख पाई थीं क्योंकि वह उस समय विधान परिषद में विपक्ष की नेता थीं। अब, चूंकि यह आवंटन उनके मौजूदा पद पर आधारित है और पूर्व मुख्यमंत्रियों के विशेष अधिकार खत्म हो चुके हैं, इसलिए उन्हें कानूनी राहत की उम्मीद कम है। हाई कोर्ट का यह ऐतिहासिक निर्णय, जिसने तेजस्वी यादव को 5 देशरत्न मार्ग खाली करने का आदेश दिया था, अब राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड पर बने रहने के रास्ते को भी रोक रहा है।

राजद ने लगाया राजनीतिक द्वेष का आरोप

इस पूरे घटनाक्रम पर राजनीति भी शुरू हो गई है। बिहार सरकार की 'पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए आवास आवंटन नीति' में हुए हालिया बदलावों के आधार पर यह नोटिस भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि आवास स्थायी नहीं है और जरूरत पड़ने पर सरकार पुनर्नियोजन कर सकती है। भवन निर्माण सचिव कुमार रवि ने इसे 'सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया' बताया है। हालांकि, राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को "परेशान करने" की मंशा बताया है। उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि किस 'राष्ट्रीय आपदा' के कारण उन्हें अपना पुराना निर्णय बदलना पड़ रहा है और 10 सर्कुलर रोड क्यों खाली कराया जा रहा है।