Bihar News: बिहार में महिला रोजगार योजना से बदलने लगे हालात, बिहार की महिलाओं को मिला नया आसमान

Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला रोजगार योजना ने ग़रीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं को एक नई उम्मीद और हौसला दिया है। बिहार में सशक्त हो रही महिलाएं......पढ़िए आगे

Bihar News: बिहार में महिला रोजगार योजना से बदलने लगे हालात,
सशक्त हो रही महिलाएं - फोटो : SOCIAL MEDIA

Bihar News: बिहार की राजनीति में आज सबसे ज़्यादा चर्चा जिस मुद्दे की है, वह है महिला सशक्तिकरण का नया अध्याय। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला रोजगार योजना ने ग़रीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं को एक नई उम्मीद और हौसला दिया है। राजनीति की भाषा में कहें तो यह केवल आर्थिक पैकेज नहीं बल्कि सामाजिक क्रांति का बीज है, जिसने गांव-गांव में नई सोच और नई ऊर्जा पैदा कर दी है।

अरवल की उमा रानी कहती हैं कि “मेरी एक बेटी पढ़ाई कर रही है, अब मैं न सिर्फ़ उसे अच्छी शिक्षा दूंगी बल्कि दूसरी महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ूंगी।” यह बयान केवल एक महिला का नहीं, बल्कि बिहार की बदलती तस्वीर का सबूत है। यह वही स्वर है जो सत्ता के गलियारों तक गूंज रहा है और सरकार के लिए राजनीतिक पूंजी बनता जा रहा है। किशनगंज की रोज़ी बेगम मजदूरी से परिवार चला रही थीं। उनके शब्द हैं कि “अब हमें मजदूरी पर निर्भर नहीं रहना होगा, दुकान खोलकर परिवार की स्थिति सुधार सकूंगी।” यह जुमला महज़ व्यक्तिगत खुशी नहीं, बल्कि पूरे समाज की आकांक्षा को बयां करता है। रोज़ी बेगम की आवाज़ आज उन लाखों महिलाओं की आवाज़ है, जिन्हें वर्षों से उपेक्षा और मुफलिसी का सामना करना पड़ा।

रोहतास की पूनम कंवर की कहानी तो और भी प्रेरणादायक है। पति की कैंसर से मौत के बाद अकेले परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाली पूनम अब कहती हैं कि “पार्लर से होने वाली कमाई से मैं बच्चों को पढ़ा सकूंगी, नीतीश कुमार जी ने हमें नई ताक़त दी है।” उनके ये शब्द सियासी मायने में एक वोट बैंक से कहीं ज़्यादा हैं  यह भरोसा है, यह जज़्बा है, यह भविष्य है। राजनीतिक नज़रिए से देखें तो नीतीश कुमार का यह कदम केवल कल्याणकारी योजना नहीं, बल्कि राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक है। जब 25 लाख महिलाओं के खाते में ₹10,000 सीधे ट्रांसफ़र हुए, तो यह संदेश गया कि सरकार न केवल वादे कर रही है, बल्कि उन्हें ज़मीन पर उतार भी रही है। प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार के साझा कार्यक्रम में 75 लाख महिलाओं को दी गई राशि पहले ही इस पहल को राष्ट्रीय विमर्श में ला चुकी है।

यह योजना बिहार की राजनीति में महिला मतदाताओं की नई ताक़त को उभार रही है। महिलाएं अब केवल घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं, बल्कि स्वरोज़गार, आत्मनिर्भरता और सामाजिक सम्मान की ओर बढ़ रही हैं। उमा रानी, रोज़ी बेगम और पूनम कंवर जैसी कहानियां बताती हैं कि यह योजना आर्थिक मदद से कहीं आगे जाकर आत्मसम्मान की क्रांति है।