Bihar Vidhansabha: राजद और कांग्रेस से बागी होकर सदन में सत्ता पक्ष को समर्थन दे रहे बागी विधायकों के बिहार विधानसभा में बैठने को लेकर अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने बड़ा फैसला दिया है. बिहार विधानसभा में इसी मामले पर गुरुवार को राजद सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया था. यहां तक कि आसंदी के सामने आ गये विधायकों को हटाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने मार्शलों को बुला लिया था. वहीं सदन में हुए भारी हो हंगामे के बाद अब राजद-कांग्रेस के बागी विधायकों की सीट विधानसभा में तय कर दी गई है.बागी विधायक अब विधानसभा अध्यक्ष के सामने बैठेंगे.
बागी विधायकों में राजद के पांच और कांग्रेस के दो विधायक शामिल हैं. राजद के टिकट पर जीते सूर्यगढ़ा के विधायक प्रह्लाद यादव, मोकामा विधायक नीलम देवी, शिवहर से चेतन आनंद और भभुआ विधायक भारत बिंद ने दल से बागी होकर सत्ता पक्ष की ओर जाकर सदन में बैठा था. वहीं कांग्रेस के बिक्रम विधायक सिद्धार्थ सौरव और कांग्रेस के ही चेनारी से विधायक मुरारी गौतम भी बागी में शामिल हैं. सातों विधायक के ट्रेजरी बेंच की ओर बैठने को लेकर राजद ने आपत्ति जताई थी. इस पर सदन में हंगामा भी हुआ जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अब नई जगह दी है. इस तरह सातों विधायक अब विधानसभा अध्यक्ष के सामने बैठेंगे.
वहीं तेजस्वी यादव ने बागी विधायकों पर कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि हमने स्पीकर को उन बागी विधायकों पर कार्रवाई करने के लिए पत्र भी लिखा है. बावजूद इसके विधानसभा अध्यक्ष एक्शन नहीं ले रहे हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि सीटिंग अरेंजमेंट में तीन सत्र से आरजेडी के बागी विधायक मंत्रियों की सीट पर बैठ रहे हैं. यह नियम विरुद्ध है. नियमानुसार आज भी सातों विधायक राजद और कांग्रेस के विधायक हैं. उनको हमारे साथ बैठना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि सदन नियम-कायदे से चलता है. लेकिन अध्यक्ष कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं . हालाँकि सदन में हुए हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने बड़ा फैसला लिया और सभी बागी विधायकों को नई जगह निर्धारित कर दी. हालाँकि विधायकों पर कार्रवाई की तेजस्वी की मांग पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है.
क्यों हुए बागी :
नीतीश कुमार के इसी वर्ष जनवरी में महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए संग मिलकर बिहार में सरकार में बनाने के दौरान राजद-कांग्रेस के विधायकों ने बागी रुख अपनाया था. सूर्यगढ़ा के विधायक प्रह्लाद यादव, मोकामा विधायक नीलम देवी, शिवहर से चेतन आनंद और भभुआ विधायक भारत बिंद, कांग्रेस के बिक्रम विधायक सिद्धार्थ सौरव और कांग्रेस के ही चेनारी से विधायक मुरारी गौतम ने बारी बारी से नीतीश सरकार को समर्थन दिया. सातों विधायकों ने इस तरह दल-बदल कानून का उल्लंघन किया.
कब होगी कार्रवाई :
दल बदल कानून के तहत विधायकों पर कार्रवाई का अधिकार विधान सभा अध्यक्ष का होता है. सबसे पहले विधान सभा अध्यक्ष सभी बागी विधायकों को नोटिस भेजते हैं. फिर बागी विधायक अपना पक्ष रखते हैं. हालाँकि बागियों का पक्ष जानने के बाद उनकी सदस्यता पर क्या फैसला होगा और कब फैसला होगा इसके लिए विधान सभा अध्यक्ष स्वतंत्र हैं. साथ ही कार्रवाई के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है. ऐसे में करीब 10 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक विधान सभा अध्यक्ष ने बागी विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं की है.