Jdu Politics: नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में सिरफुटौव्वल की स्थिति है. पार्टी कई गुटों पर बंटती हुई दिखाई पड़ रही है. घर के अंदर लगी आग की लौ अब बाहर निकलने लगी है. स्थिति ऐसी हो गई है कि प्रदेश नेतृत्व के कार्यप्रणाली से कई बड़े नेता गुस्से में हैं. विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि दो विधान पार्षदों ने प्रदेश इकाई का बेड़ा गर्क कर दिया है. बताया जा रहा है कि इन विधान पार्षदों की चरण वंदना करने वाले लोगों को संगठन में जगह दी जाने लगी है. हद तो तब हो गई जब पार्टी के सर्वेसर्वा के खास रिश्तेदार को भी किनारे लगाने की कोशिश की गई। मामला बढ़ गया..इसके बाद लगाम कसने की कोशिश शुरू हुई है.
जेडीयू में सिरफुटौव्वल
हाल में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने अपनी प्रदेश कमेटी का गठन किया है. आनन-फानन में पुरानी कमेटी को भंग कर कुछ देर बाद ही नई कमेटी का ऐलान किया गया. नई कमेटी को छोटा किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में वैसे नेताओं को भी साईड लाइन कर दिया गया जो जिम्मेदारी और ईमानदारी के साथ काम कर रहे थे. नई टीम की घोषणा के बाद अंदर ही अंदर विवाद शुरू हुआ, क्यों कि कई बड़े नेताओं से जुड़े लोगों को जानबूझ कर आउट कर दिया गया था. कहा जा रहा है कि प्रदेश कमेटी से कुछ नेताओं को साइड लाइन करने-करवाने में दो विधान पार्षदों की बड़ी भूमिका रही. बताया जाता है कि जिन नेताओं ने इन विधान पार्षदों की जी-हुजूरी नहीं की, उन्हें संगठन से बाहर का रास्ता दिखवा दिया गया. प्रदेश पदाधिकारी बनाए जाने के बाद विधान सभा प्रभारी नियुक्ति किया गया. कहा जा रहा कि इसमें भी बड़ा खेल किया गया. वैसे नेताओं को भी पार्टी ने विधानसभा प्रभारी बना दिया जो लोकसभा चुनाव में जेडीयू के बड़े नेताओं का विरोध कर विपक्षी उम्मीदवार का प्रचार कर रहा था. बताया जाता है कि यह काम एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया. हद तो तब हो गई जब पार्टी के मुखिया के करीबी रिश्तेदार को भी ठिकाना लगाने की कोशिश हुई। इसके बाद तो विवाद चरम पर पहुंच गया. फिर क्या था.....।
नेतृत्व ने दी हिदायत..अगर यही स्थिति रही तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें
जानकार बताते हैं कि पूरा मामला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुंच गया. सूत्र बताते हैं कि पार्टी की इस हालत में पहुंचाने पर राष्ट्रीय नेतृत्व ने बिहार इकाई के नेताओं की जमकर खबर ली है. खासकर उनलोगों की जिनकी वजह से पार्टी में असंतोष पनप रहा है और गुटबाजी बढ़ रही है. बताया जाता है कि बिहार इकाई की पोल खुलने के बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरू हुई है. प्रदेश नेतृत्व से साफ कहा गया है कि अगर यही स्थिति रही तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें. हर काम में हस्तक्षेप करने वाले दोनों विधान पार्षदों को भी हिदायत दी गई है. बता दें, जेडीयू के जिन दो विधान पार्षदों को लेकर नाराजगी है, वे अपने आप को नेता के बेहद करीबी बताते रहे हैं. एक माननीय तो लंबे समय से सूबे के उच्च सदन की शोभा बढ़ा रहे हैं. इनको लेकर ही पार्टी नेताओं में सबसे अधिक नाराजगी है.
जेडीयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक में नहीं होंगे शामिल
इसी बीच आज शनिवार को जेडीयू ने एक बड़ी बैठक बुला ली है. जेडीयू की नई राज्य कार्यकारिणी की बैठक आज 5 अक्टूबर को पटना में बुलाई गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर यह बैठक बुलाई गई है. बैठक जनता दल यू कार्यालय के कर्पूरी सभागार में होगी. 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर ये मीटिंग अहम मानी जा रही है. लेकिन बड़ी खबर यह निकल कर सामने आ रही है कि दल के वरिष्ठ नेता ललन सिंह इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं होंगे. आखिर ललन सिंह राज्य कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने क्यों नहीं आ रहे ? इसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि पार्टी की प्रदेश इकाई की जो हालत है, उससे ललन सिंह काफी क्षुब्ध हैं.
ललन सिंह हैं तीसरे नंबर पर
जेडीयू की नई राज्य कार्यकारिणी की लिस्ट हाल ही में जारी की गई है. राज्य कार्यकारिणी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित 118 सदस्य बनाए गए हैं। पार्टी की राज्य इकाई के सभी पदाधिकारी इसके पदेन सदस्य हैं. पहले नंबर पर नीतीश कुमार हैं. वहीं दूसरे नंबर पर जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा. तीसरे नंबर पर केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह का नाम है. इसके बाद पूर्व सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह, मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय कुमार चौधरी व अन्य नेता राज्य कार्यकारिणी की लिस्ट में शामिल हैं.
बैठक में ललन सिंह के शामिल होने की संभावना नहीं
5 अक्टूबर को जेडीयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित बैठक में वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री ललन सिंह शामिल नहीं होने वाले हैं. ऐसी खबर निकलकर सामने आ रही है. विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि उनका 5 अक्टूबर को पटना आने का कोई कार्यक्रम नहीं है. वे शनिवार को विभागीय काम से बाहर रहेंगे. बताया जाता है कि इसकी जानकारी नेतृत्व को दे दी गई है.