PATNA : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी बिहार दौरे पर हैं. इस दौरान पटना में उन्होंने संविधान सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित किया. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात की. इसके बाद राहुल गाँधी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास 10 सर्कुलर रोड पहुंचे. जहाँ उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और मीसा भारती से मुलाकात की है. राबड़ी देवी के आवास पर ही राहुल गाँधी ने भोजन किया.
इसके पहले पटना के बापू सभागार में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने केंद्र की मोदी सरकार को संविधान विरोधी बताते हुए जमकर हमला किया. साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी निशाने पर लेते हुए राज्य में अफसरशाही हावी होने की बातें कही. संविधान सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार में विधायक और सांसदों को कोई पावर नहीं है. राहुल गांधी ने कहा कि, ' कुछ दिन पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि गंगा गंगोत्री से नहीं निकली. हिंदुस्तान को आजादी 15 अगस्त 1947 को नहीं मिली. अगर मोहन भागवत ये कह रहे हैं तो वे भारत के संविधान को नकार रहे हैं. वे भारत के हर संस्थान से डॉ अंबेडकर, भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी की विचारधारा को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. बापू सभागार में राहुल गांधी ने कहा कि, 'चाहे कुछ भी हो जाए देश में जाति जनगणना होकर रहेगी. उन्होंने कहा कि देशभर में जाति जनगणना कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि इसके आधार पर देश का विकास होना चाहिए. इससे पता लग जाएगा कि किसकी कितनी आबादी है, और उसकी ब्यूरोक्रेसी, शिक्षण संस्थानों और निजी कंपनियों में कितनी भागीदारी है. क्योंकि गरीब मजदूरों और किसानों को देश का धन नहीं मिल पा रहा है. वे कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में ही जा रहा है.
90 बड़े अफसर लेते हैं फैसला
राहुल ने कहा कि केंद्र सरकार के 90 बड़े अफसर देश के बजट पर निर्णय लेते हैं. उनमें से दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की भागीदारी 10 फीसदी भी नहीं हैं. जबकि भारत की आबादी में इन वर्गों की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है.
दो से तीन लोगों के हाथ में संपत्ति
संविधान में कहां लिखा है कि भारत की सारी संपत्ति सिर्फ दो से तीन लोगों के हाथ में चली जानी चाहिए. आज के भारत में विधायकों और सांसदों के पास कोई ताकत नहीं है. जब मैं पिछड़े समुदाय, दलितों, आदिवासियों से ताल्लुक रखने वाले भाजपा सांसदों से मिलता हूं तो वे कहते हैं कि हमें पिंजरे में डाल दिया गया है. उन्होंने आरक्षण के 50 फीसदी के दायरे को तोड़ने की भी बात कही.