बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

Bihar Governor: कौन हैं बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, सीएम नीतीश के 35 वर्ष पुराने मित्र को पीएम मोदी ने क्यों भेजा, जानिए इनसाइड स्टोरी

बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब राज्य में चुनावी वर्ष है. वहीं नीतीश कुमार के जदयू के साथ भाजपा के रिश्ते में उतार-चढाव की खबरें भी सुर्खियां बनी हुई हैं. इन स्थितियों में राज्यपाल की भूमिका अहम हो जाती है.

 Arif Mohammad Khan
Governor of Bihar Arif Mohammad Khan- फोटो : news4nation

Bihar Governor: बिहार के नए राज्यपाल के रूप में आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार को शपथ ली. उन्हें पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रण ने शपथ दिलाई. बिहार में इसी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले आरिफ मोहम्मद खान को राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया जाना सियासी हलकों में बेहद अहम रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. 


आरिफ मोहम्मद खान और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों ही करीब 35 वर्ष पहले एक साथ एक ही मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं. ऐसे में हालिया समय में बिहार में एनडीए के नेतृत्व विधानसभा में कौन करेगा इस मसले भाजपा और जदयू के बीच रार की स्थिति देखी गई. इन स्थितियों में बिहार के राज्यपाल के रूप में आरिफ मोहम्मद खान का आना बेहद अहम है. 


कौन हैं आरिफ मोहम्मद खान

आरिफ मोहम्मद खान की सियासी यात्रा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष बनने से हुई. 1977 में उनका बुलंदशहर के सियाना विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने और यूपी सरकार में मंत्री बनना बेहद अहम  रहा. वहीं बाद में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और 1980 में कानपुर और 1984 में बहराइच से लोकसभा के लिए चुने गए. 1986 में, उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बिल के पारित होने पर मतभेदों के कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छोड़ दी, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने लोकसभा में पेश किया था. 

बाद में आरिफ मोहम्मद खान जनता दल में शामिल हो गए और 1989 में फिर से लोकसभा के लिए चुने गए. जनता दल के शासन के दौरान खान ने नागरिक उड्डयन और ऊर्जा मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया.इसी दौरान नीतीश कुमार भी केंद्र में पहली बार मंत्री बने. तब दोनों ने एक ही सरकार के लिए मंत्री के रूप में काम किया. ऐसे में दोनों के बीच अहम मुलाकात और याराना का दौर 1989 में शुरू हुआ. सूत्रों का कहना है कि अब 35 वर्ष पुराने इस यारियां को बिहार में भुनाने में केंद्र की मोदी सरकार लग गई है. 


कई दलों से बिठाया सामंजस्य

आरिफ मोहम्मद खान कांग्रेस, जनता दल, बसपा से होते हुए वर्ष 2004 में वह भाजपा में शामिल हो गए. यानी वे सभी दलों के साथ बेहतर सामंजस्य बिठाने में सफल रहे हैं. उनके इस सियासी कौशल को ही अब सम्भवतः भाजपा भुनाना चाहती है. उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. हाल के समय में जदयू और भाजपा नेताओं के बीच दूरी बढ़ने की बातें आई. ऐसे में अब आरिफ के सहारे नीतीश कुमार से रिश्तों को और ज्यादा मजबूती देने की कोशिश होगी. 


इसी वर्ष बिहार विधानसभा चुनाव 

बिहार में विधानसबा चुनाव भी इसी वर्ष है. अक्टूबर- नवंबर के महीने में होने चुनाव के दौरान सियासी दलों द्वारा कितनी सीटें जीती जाती हैं वह नम्बर गेम के हिसाब से बेहद अहम होगा. ऐसे में राज्यपाल की भूमिका भी बढ़ जाती है. जोड़तोड़ वाली सियासी लड़ाई में राजभवन के कई निर्णय से सरकार गठन का रास्ता सरल होता है. ऐसे में अगर वैसी स्थिति बनी तो आरिफ मोहम्मद खान की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. 

Editor's Picks