Action Taken Against 12 CO : बिहार में जमीन सर्वे का काम चल रहा है। इस दौरान कई सीओ की लापरवाही भी सामने आ रही है। ऐसा ही एक मामला एक बार फिर सामने आया है। जहां सीओ की लापरवाही से सरकारी जमीन की अवैध खरीद-बिक्री की जा रही है। इस मामले में अब सरकार ने 12 सीओ के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। दरअसल, सरकार द्वारा रोक लगाने के बावजूद, पूर्णिया और खगड़िया जिलों में सीओ (अंचल अधिकारी) की लापरवाही के चलते सरकारी जमीन की अवैध खरीद-बिक्री जारी रही। इन जिलों में सीओ ने म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) पर रोक तो लगाई, लेकिन रजिस्ट्री रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसके कारण सरकारी जमीन की रजिस्ट्री होती रही।
खगड़िया में 12 सीओ पर कार्रवाई की सिफारिश
वहीं अब खगड़िया जिला लोक शिकायत निवारण ने डीएम को पत्र लिखकर 12 सीओ पर कार्रवाई की अनुशंसा की है। पूर्णिया सदर थाने में इस मामले में दो एफआईआर (670/24, 807/24) दर्ज की गईं। जमीन माफिया शहबाज आलम को गिरफ्तार कर लिया गया है। दूसरे मामले में 13 लोगों को नामजद किया गया था, जिनकी जमानत खारिज हो चुकी है, लेकिन 12 आरोपियों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है।
अरबों की सरकारी जमीन का सौदा, प्रशासन की अनदेखी
2014 से ही बिहार में सरकारी भूमि (गैर-मजरूआ खास, आम, बकास्त, कैसर-ए-हिंद, भू-अर्जित, भूदानी जमीन) की खरीद-बिक्री पर रोक लगी हुई है। लेकिन जब इस मामले में जांच तेज हुई तो सामने आया कि 2015 से लगातार सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री का खेल चलता रहा। सीओ ने सिर्फ म्यूटेशन पर रोक लगाई, लेकिन रजिस्ट्री ऑफिस को इसकी कोई सूचना नहीं दी। केवल खगड़िया में अलग-अलग खाता और खेसरा नंबर वाली जमीन 300 से अधिक बार बेची जा चुकी है। अब जब सीओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठी है, तो प्रशासनिक अधिकारी उन्हें बचाने में लगे हुए हैं।
इन अधिकारियों के कार्यकाल में हुई गड़बड़ी
खगड़िया अंचल के पूर्व और वर्तमान सीओ व राजस्व पदाधिकारियों के कार्यकाल में सरकारी जमीन की अवैध खरीद-बिक्री हुई। इनमें शामिल हैं- नौशाद आलम (पूर्व अंचल अधिकारी), धीर बालक राय, संजय कुमार (राजस्व पदाधिकारी), अंबिका प्रसाद, अरुण कुमार सरोज, राजन कुमार (राजस्व पदाधिकारी), ब्रजेश कुमार पाटिल (वर्तमान सीओ) इन अधिकारियों के कार्यकाल में ही गड़बड़ी होने के आरोप लगे हैं।
पूर्णिया में अंचल अधिकारी की चूक से जारी रही रजिस्ट्री
सरकारी जमीन की रोक की जिम्मेदारी अंचल अधिकारी की होती है, लेकिन पूर्णिया पूर्व के अंचल अधिकारी की नींद तब खुली जब जमीन की खरीद-बिक्री हो चुकी थी। ज्ञापांक 2872 (2 सितंबर 2024) से जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कांड संख्या-670/24 में शामिल भूमि को 2014 से 2024 तक रोक सूची में शामिल ही नहीं किया गया था, जिससे रजिस्ट्री होती रही। पूर्णिया एसडीपीओ ने जांच में आरोप सही पाए और गिरफ्तारी के आदेश दिए, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
खगड़िया में म्यूटेशन रद्द, पर रजिस्ट्री जारी
दाखिल-खारिज केस संख्या 19/24-25 में सीओ ब्रजेश कुमार पाटिल ने 10 जुलाई 2023 को यह कहकर केस खारिज किया कि जमीन गैर-मजरूआ खास की श्रेणी में आती है। इसके बावजूद, रजिस्ट्री रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया और सरकारी जमीन का निबंधन जारी रहा। 8 साल से यह खेल चल रहा था। खगड़िया में सैकड़ों बार सरकारी जमीन की बिक्री
खगड़िया में चल रहा था बड़ा खेल
खगड़िया जिले में अलग-अलग खाता और खेसरा नंबर की जमीन को कई बार बेचा गया- मौजा-मथुरापुर, बकास्त भूमि, खाता संख्या-156, खेसरा-477, 501, 88, 7, 87 , 45 बार बिक्री, गैर मजरूआ खास भूमि, खाता संख्या-373, खेसरा-819, 820, 232, 493, 424, 26 बार बिक्री, खाता संख्या-399, खेसरा-415, 576, 578 → 10 बार बिक्री, खाता संख्या-453, खेसरा-1331, 2099 12 बार बिक्री, मौजा-सन्हौली बकास्त भूमि, खाता संख्या-1, खेसरा-1303, 1307, 1306, 1309, 101 बार बिक्री, खाता संख्या-225, खेसरा-239, 221, 220, 27 बार बिक्री। गैर मजरूआ खास भूमि खाता संख्या-159, खेसरा-1465, 389, 914 - 3 बार बिक्री।
पूर्णिया में फर्जी डीड बनाकर बेची गई सरकारी जमीन
जांच में सामने आया कि आलमगंज मौजा के खाता-125, खेसरा-63 की 4.2 डिसमिल सरकारी जमीन को इंदिरा देवी और अन्य 7 लोगों ने सुमन केशरी और मनीष कुमार सिंह को बेच दिया। सीओ की रिपोर्ट के आधार पर राजस्व कर्मचारी भगीरथ प्रजापति ने कांड संख्या-670/24 दर्ज कराई। जांच में पाया गया कि जिस डीड के आधार पर जमीन बेची गई, वह फर्जी थी। कोर्ट ने आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकारी जमीन पर मालिकाना हक के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए।
प्रशासन का बयान
इस मामले में खगड़िया के अवर निबंधन पदाधिकारी नवनीत कुमार ने कहा कि, जिस खेसरा की जमीन की रजिस्ट्री हुई, वह रोक सूची में नहीं थी। दाखिल-खारिज क्यों रोका गया, यह हम नहीं बता सकते। पूर्णिया के रजिस्टार नीतीश कुमार ने कहा कि, रोक सूची में शामिल जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकती। इसे तैयार करना अंचल अधिकारी और राजस्व कर्मचारियों की जिम्मेदारी है।