Bihar Assembly Election 2025: विधानसभा चुनाव में इस सीट पर देखने को मिलेगा महिला शक्ति की टक्कर! लेसी सिंह बनाम बीमा भारती के बीच जोरदार मुकाबले की उम्मीद, जानें पूरा समीकरण

Bihar Assembly Election 2025: बिहार चुनाव 2025 में धमदाहा सीट पर जदयू की लेसी सिंह और आरजेडी की बीमा भारती के बीच दिलचस्प मुकाबला होगा। जानिए जातीय समीकरण, राजनीतिक रणनीति और संभावित परिणाम।

Bihar Assembly Election 2025
बिहार विधानसभा चुनाव में महामुकाबला- फोटो : social media

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 धीरे-धीरे नजदीक आ रहे हैं, और हर सीट पर राजनीतिक समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आ रहे हैं। पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट इस बार पूरे राज्य की निगाहों में है, क्योंकि यहां दो महिला दिग्गजों के बीच दिलचस्प मुकाबला तय हो चुका है।एक तरफ होंगी जदयू की लेसी सिंह, जो पांच बार से धमदाहा की निर्विवाद विधायक रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आरजेडी की बीमा भारती होंगी, जिन्हें इस बार धमदाहा से टिकट मिलने की पूरी संभावना है।

बीमा भारती बनाम लेसी सिंह: महिला बनाम महिला, जातीय समीकरण अहम

इस मुकाबले की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह महिला बनाम महिला टक्कर होगी।लेसी सिंह, राजपूत समाज से आती हैं, जिसकी संख्या धमदाहा में लगभग 4,000 है।वहीं बीमा भारती, अति पिछड़ा समाज से आती हैं, जिसकी जनसंख्या क्षेत्र में 1.50 लाख के करीब बताई जाती है।इसी वजह से तेजस्वी यादव ने इस बार सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए, बीमा भारती को सामने लाकर पिछड़ा-अतिपिछड़ा कार्ड खेलने का मन बनाया है।

बीमा भारती की रणनीति और विरोध की विरासत

बीमा भारती धमदाहा सीट से पहले भी विधायक रह चुकी हैं, और उन्होंने लंबे समय से लेसी सिंह का खुला विरोध किया है। आरजेडी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि बीमा ही वो चेहरा हैं जो लेसी सिंह की साख को चुनौती दे सकती हैं।तेजस्वी यादव के लिए यह सीट एक सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनने जा रही है। महिला उम्मीदवार को महिला उम्मीदवार के सामने खड़ा करना, पार्टी की राजनीतिक संवेदनशीलता और रणनीति दोनों को दर्शाता है।

लेसी सिंह: एक दशक से भी अधिक का दबदबा

लेसी सिंह धमदाहा से लगातार पांच बार विधायक रही हैं और उन्होंने हर बार आरजेडी उम्मीदवार दिलीप यादव को भारी मतों से हराया है। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की करीबी मानी जाती हैं और सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं।उनका प्रभावशाली जनसंपर्क, स्थानीय नेटवर्किंग और महिला मतदाताओं के बीच लोकप्रियता उन्हें मजबूत बनाती है। लेकिन इस बार का चुनाव परंपरा बनाम बदलाव का होगा।