Bihar farmer - बटाईदार एवं भूमिहीन किसानों को मजबूत करेगी बिहार सरकार, तीन श्रेणियों में बांट गए बिहार के किसान

Bihar farmer - बिहार में टोपोलैंड और असर्वेक्षित जमीन पर खेती करनेवाले किसानों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने फैसला लिया है कि किसानों के अस्थायी रूप से उस जमीन का अधिकार दिलाया जाएगा।

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Patna - उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार विजय कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में कृषि भवन स्थित उनके कार्यालय कक्ष में आज टोपोलैंड से संबंधित बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में माननीय मंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार संजय सरावगी, अपर मुख्य सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार दीपक कुमार सिंह एवं सचिव, कृषि विभाग, बिहार संजय कुमार अग्रवाल उपस्थित थे। 

बैठक का मुख्य उद्देश्य उन किसानों को विभागीय योजनाओं का लाभ दिलाना था जो पुश्तैनी टोपोलैंड अथवा असर्वेक्षित भूमि पर वर्षों से खेती कर रहे हैं, परंतु भूमि के कागजी अभाव में अब तक सरकारी अनुदानों एवं योजनाओं से वंचित रह जाते हैं।

नदी के दियारा में खेती करनेवाले किसानों के लिए बड़ी घोषणा

 उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं जो तीन प्रकार की टोपोलैंड श्रेणियों में खेती करते हैं - सामान्य टोपोलैंड, असर्वेक्षित टोपोलैंड एवं नदी के दियारा क्षेत्र। विशेषकर दियारा क्षेत्रों की भूमि समय-समय पर नदी में समाहित हो जाती है, जिससे स्थायी सेटलमेंट संभव नहीं हो पाता। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ऐसी परिस्थितियों में टेंपररी सेटलमेंट की प्रक्रिया अपनाई जाएगी ताकि किसानों को अस्थायी रूप से भूमि का उपयोग करने का अधिकार प्राप्त हो सके।

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 उप मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इन किसानों को लाभ पहुँचाने हेतु एक उच्च स्तरीय नीति बनाई जाएगी। इसके अतिरिक्त, राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक टीम द्वारा साइट विजिट कर जमीनी स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा तथा विस्तृत अनुश्रवण के बाद एक रिपोर्ट सरकार को समर्पित की जाएगी। यह पहल राज्य के बटाईदार एवं भूमिहीन किसानों को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगी।

घोड़परास से होनेवाले नुकसान पर चिंता

किसानों की फसलों की सुरक्षा हेतु पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के माननीय मंत्री डॉ सुनील कुमार तथा अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में घोड़परास से फसलों को हो रहे नुकसान पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। निर्णय लिया गया कि जिन जिलों में घोड़परास की संख्या अधिक है, वहां के किसान आवेदन के माध्यम से इस बात से अवगत कराएंगे।

 जिला पंचायती राज पदाधिकारी, वन प्रमंडल पदाधिकारी एवं संबंधित पंचायतए मुखिया घोड़परास के नियंत्रण का निर्णय लेंगे। इस जानकारी के आधार पर प्रभावित क्षेत्रों में शूटरों की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि घोड़परास की बढ़ती आबादी को नियंत्रित किया जा सके।

यह पहल किसानों की आजीविका की रक्षा एवं फसल क्षति को रोकने के उद्देश्य से की जा रही है। विभाग का लक्ष्य है कि समय रहते समुचित कार्रवाई कर किसानों को राहत प्रदान की जाए और कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे शीघ्र आवश्यक कदम उठाएं।