High voltage drama: पहली बेगम का तूफानी हंगामा, शौहर के दूसरी निकाह की कोशिश नाकाम, कोर्ट में प्रेम-धोखे में जमकर हुआ संग्राम
High voltage drama: अधूरे रिश्तों की गूँज और टूटे भरोसे की आहट मानो किसी ने कहा हो, "इश्क़ और निकाह में जब छल घुल जाए, तो अदालत भी गवाह बन जाती है।

High voltage drama: न्यायालय के गंभीर वातावरण में अचानक अफ़रा-तफ़री, कोलाहल और चीख़-पुकार का माहौल बन गया। वजह थी एक पति का दूसरी शादी का इरादा और पहली पत्नी का ग़ुस्से से लबरेज़ विरोध। पूर्णिया ज़िला अदालत का गुरुवार का दिन आम दिनों जैसा नहीं था।
सरसी थाना क्षेत्र के बेला चाँदपुर निवासी विनोद यादव का पुत्र अमित कुमार अदालत में भवानीपुर की एक महिला के साथ कोर्ट मैरिज के लिए पहुँचा। इस महिला के बारे में बताया गया कि वह पहले से शादीशुदा है और एक बच्चे की माँ भी है, जबकि उसका पति रोजगार के सिलसिले में बाहर रहता है।
मगर किस्मत ने अमित की मंशा पर ताले लगा दिए। उसकी पहली पत्नी गुड़िया देवी, मरंगा थाना क्षेत्र के उफरैल गाँव से, अपने मायकेवालों के साथ वहाँ आ धमकी। पलक झपकते ही अदालत परिसर साक्षी बना एक असाधारण पारिवारिक युद्ध का गुड़िया देवी ने सीधे अपने पति का कॉलर पकड़ लिया, थप्पड़ों और तानों की बारिश कर दी और उसे खींचते-खींचते जज के सामने ले जाने का प्रयास करने लगी।
गुड़िया देवी का आरोप था कि 27 नवंबर 2023 को उनकी शादी पूरे रीति-रिवाज़ के साथ हुई थी, जिसमें परिवार ने अपनी हैसियत के मुताबिक़ दान-दहेज दिया। मगर शादी के कुछ ही माह बाद उसका जीवन दु:स्वप्न में बदल गया। पति अमित और ससुर विनोद यादव, दोनों शराब के नशे में उसे प्रताड़ित करते थे। इससे भी संगीन इल्ज़ाम यह कि ससुर की नज़रें भी गलत थीं और वह अनुचित हरकत करने का प्रयास करते थे। मजबूर होकर गुड़िया अपने मायके चली गई।
इस मामले को लेकर पंचायत हुई, मगर सुलह-सफ़ाई न हो सकी। उल्टे, लड़केवालों ने गुड़िया के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करवा दिया। मुक़दमा अदालत में लंबित था कि इस बीच अमित ने दूसरी शादी का रास्ता अख़्तियार कर लिया।गुड़िया का कहना है कि "मेरा घर बर्बाद करने के बाद ये दूसरी औरत के साथ नया घर बसाने आए हैं, लेकिन मैं इनके इस धोखे को अदालत में उजागर करूँगी।"
वहीं, अमित के पिता विनोद यादव ने सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि "गुड़िया अपनी मर्ज़ी से मायके गई थी। हमने कई बार उसे मनाने की कोशिश की, मगर वह नहीं लौटी। परिवार परामर्श केंद्र में भी बुलाया गया, लेकिन वह आई ही नहीं। मजबूरी में बेटे की दूसरी शादी करनी पड़ी।"
इस विवाद ने पूरे न्यायालय परिसर को मानो रणभूमि बना दिया। वकील, मुवक्किल और राहगीर, सभी तमाशबीन बन गए। कोई गुड़िया की तरफ़दारी कर रहा था, तो कोई अमित की। तनाव इतना बढ़ गया कि के हाट थाना पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस ने दोनों पक्षों को अलग किया और माहौल को शांत कराया।
दिन ढलते-ढलते अदालत की सीढ़ियों पर बिखरी रह गईं थीं केवल अधूरे रिश्तों की गूँज और टूटे भरोसे की आहट मानो किसी ने कहा हो, "इश्क़ और निकाह में जब छल घुल जाए, तो अदालत भी गवाह बन जाती है।"