Bihar news - विकास की पोल खोलता चचरी पुल: चार दशक से पक्के पुल की बाट जोह रहे ग्रामीण, चंदे से बने पुल के सहारे जिंदगी; कई लोग गंवा चुके हैं जान
Bihar news - एक तरफ बिहार में विकास की बात कही जा रही है। वहीं दूसरी तरफ एक नगर पंचायत की पूरी आबादी चार दशक से पक्के पुल के इंतजार में हैं। फिलहाल, चचरी पुल ही उनके लिए सबसे बड़ा जरिया है।
Saharsa : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही 10वीं बार सीएम पद की शपथ ले चुके हों और पूरे सूबे में सड़कों-पुलों का जाल बिछाने का दावा करते हों, लेकिन सहरसा जिले की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
जिले के नवहट्टा प्रखंड अंतर्गत नवहट्टा नगर पंचायत के लोग आज भी आजादी के बाद जैसी स्थिति में जीने को मजबूर हैं। यहां के ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर बांस-बल्ली से बने जर्जर चचरी पुल के सहारे आवागमन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने इसे नगर पंचायत तो घोषित कर दिया है, लेकिन सुविधाएं नदारद हैं।
1984 में टूटा था बांध, तब से नहीं बना पक्का पुल

स्थानीय बुजुर्गों ने बताया कि साल 1984 में यहां भीषण बाढ़ आई थी और बांध टूट गया था। उस घटना के बाद से आज तक इस मुख्य मार्ग पर कोई पक्का निर्माण नहीं हुआ। यह रास्ता सुपौल जिले को सहरसा से जोड़ता है और वाया कृषि विभाग नहर होकर गुजरता है। पक्का पुल न होने के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वीडियो में बुजुर्ग महिलाएं और ग्रामीण मुख्यमंत्री और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करते दिखे। उनका कहना है कि चुनाव के समय नेता वादे करते हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई सुध नहीं लेता।
मौजूदा विधायक ने BDO रहते हुए चंदे से बनवाया था चचरी पुल

हैरानी की बात यह है कि जिस चचरी पुल के सहारे आज हजारों लोगों का आवागमन हो रहा है, उसका निर्माण भी किसी सरकारी फंड से नहीं हुआ था। ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान आरजेडी विधायक डॉ. गौतम कृष्ण, जब 2014 में यहां प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) के पद पर कार्यरत थे, तब उन्होंने श्रमदान और चंदा इकट्ठा करके इस चचरी पुल का निर्माण करवाया था। ग्रामीण आज भी उसी जर्जर पुल की मरम्मत कर-कर के काम चला रहे हैं। पूर्व विधायक गुंजेश्वर साह पर आरोप है कि 10 साल के कार्यकाल में उन्होंने सिर्फ आश्वासन दिया, लेकिन पुल नहीं बनवाया।
हादसों का गवाह बना पुल, 8 से 9 लोगों की जा चुकी है जान
यह जुगाड़ का पुल अब जानलेवा साबित हो रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, इस पुल से गिरकर अब तक 8 से 9 लोगों की डूबने से मौत हो चुकी है। रात के अंधेरे में इस पर चलना मौत को दावत देने जैसा है। महिलाओं का कहना है कि बच्चों के स्कूल जाने या किसी बीमार को ले जाने में हमेशा डर बना रहता है। बारिश और बाढ़ के समय स्थिति और भयावह हो जाती है, और पूरा गांव टापू में तब्दील होने की कगार पर आ जाता है। अब देखना यह होगा कि क्या मौजूदा विधायक, जिन्होंने अधिकारी रहते हुए पहल की थी, अब विधायक बनने के बाद यहां पक्का पुल बनवा पाते हैं या नहीं।
Report - diwakar dinkar