Bihar politics - तेजस्वी और प्रशांत किशोर की सीधी लड़ाई!, विधानसभा चुनाव में इस सीट से लड़ेंगे पीके, हो गई घोषणा

Sasaram - बिहार में राजनीति में खुद को लालू यादव और नीतीश कुमार का विकल्प बतानेवाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, इससे पर्दा हट गया है। जहां पहले यह माना जा रहा था कि वह तेजस्वी यादव को चुनौती देते हुए राघोपुर से चुनाव लड़ने की बात कही जा रही थी। लेकिन अब यह साफ हो गया है कि प्रशांत किशोर और तेजस्वी के बीच सीधा मुकाबला नहीं होगा। जिससे तेजस्वी और महागठबंधन का राहत मिली है।
जहां पहले उन्होंने तेजस्वी यादव के गढ़, राघोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात कही थी, जिससे तेजस्वी यादव और महागठबंधन की चिंता बढ़ गई थी। हालांकि, अब प्रशांत किशोर ने अपने फैसले से यू-टर्न ले लिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह रोहतास जिले की करगहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस फैसले से तेजस्वी यादव ने राहत की सांस ली है।
प्रशांत किशोर का बड़ा ऐलान
प्रशांत किशोर ने रोहतास में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में करगहर सीट से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि उनका मकसद बिहार में विकास लाना है और वह किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेंगे।
महागठबंधन ने साधा था निशाना
प्रशांत किशोर के राघोपुर से चुनाव लड़ने की खबर के बाद महागठबंधन के नेता उन पर लगातार हमलावर थे। उनका कहना था कि प्रशांत किशोर बीजेपी की 'बी टीम' के रूप में काम कर रहे हैं और इसलिए उन्होंने राघोपुर से चुनाव लड़ने की बात कही थी ताकि तेजस्वी यादव को उनकी सीट पर ही व्यस्त रखा जा सके।
तेजस्वी को मिलेगा चुनावी फायदा
प्रशांत किशोर के फैसले से तेजस्वी यादव को अब अपनी परंपरागत सीट राघोपुर पर ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ेगा। अगर वह इस सीट से दोबारा चुनाव लड़ते हैं, तो वह अपने प्रचार अभियान के लिए अधिक समय निकाल पाएंगे और बिहार के अन्य हिस्सों में ज्यादा से ज्यादा रैलियां कर सकेंगे, जिसका फायदा महागठबंधन को मिल सकता है।
करगहर सीट से तेजस्वी को मिलेगी मदद
अब जबकि प्रशांत किशोर करगहर सीट से चुनाव लड़ेंगे, तो तेजस्वी यादव को अपनी सीट पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह उन्हें पूरे राज्य में प्रचार करने के लिए समय और ऊर्जा प्रदान करेगा, जो महागठबंधन के लिए एक बड़ा फायदा साबित हो सकता है।
बदल गई चुनावी रणनीति
प्रशांत किशोर के इस फैसले से बिहार के चुनावी समीकरण में बदलाव आ गया है। जहां राघोपुर में मुकाबला आसान हो गया है, वहीं अब करगहर में एक नया और दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा।