रोहतास में रोपवे का 'मौत का ट्रायल'! ताश के पत्तों की तरह ढहा निर्माणाधीन रोपवे का टावर, बाल-बाल बचे मजदूर

रोहतासगढ़ किला स्थित रोहितेश्वर धाम के निर्माणाधीन रोपवे का टावर ट्रायल के दौरान ढह गया। 4 ट्रालियां क्षतिग्रस्त हुईं, लेकिन मजदूर बाल-बाल बच गए। निर्माण की गुणवत्ता पर उठे सवालों के बीच कोलकाता से विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई है।

रोहतास में रोपवे का 'मौत का ट्रायल'! ताश के पत्तों की तरह ढह

Sasaram - रोहतासगढ़ किला स्थित रोहितेश्वर धाम को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए बन रही महत्वाकांक्षी रोपवे परियोजना को बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को ट्रायल और टेस्टिंग के दौरान रोपवे का मुख्य टावर और ऊपरी स्टेशन अचानक भरभराकर गिर गया। इस हादसे में ट्रायल के लिए लगाई गई चार ट्रालियां पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। गनीमत यह रही कि मौके पर मौजूद मजदूरों ने भागकर जान बचाई, अन्यथा कई लोगों की जान जा सकती थी। 

सवालों के घेरे में निर्माण की गुणवत्ता

निर्माणाधीन रोपवे का टावर गिरते ही स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। पूर्व मुखिया संतोष कुमार भोला ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाते हुए इसे रोहतास नगर पंचायत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि जब टावर मात्र चार ट्रालियों का भार सहन नहीं कर सका, तो भविष्य में 12 ट्रालियों के भार के साथ पर्यटकों की जान कैसे सुरक्षित रहेगी? स्थानीय लोगों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषी निर्माण कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। 

इंजीनियर की सफाई: वायर फंसने से हुआ हादसा


इस घटना को लेकर पुल निर्माण निगम के वरीय अभियंता खुर्शीद करीम ने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट अभी ट्रायल एंड टेस्टिंग फेज में था। लोड (वजन) बढ़ाने की प्रक्रिया के दौरान अचानक वायर फंस गया, जिसके कारण टावर पर दबाव बढ़ा और यह क्षतिग्रस्त हो गया। अभियंता ने स्पष्ट किया कि अभी बहुत सारा काम शेष है और सुरक्षा मानकों को पूरा किए बिना इसे शुरू नहीं किया जाना था। 

कोलकाता से बुलाई गई विशेषज्ञों की टीम

हादसे की गंभीरता को देखते हुए कोलकाता से विशेषज्ञों की एक विशेष टीम शनिवार को रोहतास पहुँच रही है। यह टीम घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण करेगी और यह पता लगाएगी कि टावर ढहने का वास्तविक तकनीकी कारण क्या था। साथ ही, टीम यह भी योजना बनाएगी कि कम से कम समय में इस क्षति को कैसे सुधारा जाए और दोबारा निर्माण को और अधिक मजबूती कैसे दी जाए। 

कंपनी के खर्च पर होगा पुनर्निर्माण

पुल निर्माण निगम के अनुसार, इस दुर्घटना में हुई पूरी आर्थिक क्षति की भरपाई संबंधित निर्माण कंपनी को ही करनी होगी। कंपनी अपने स्वयं के खर्च पर टावर और ऊपरी स्टेशन का पुनर्निर्माण कराएगी। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि जब तक ट्रायल और सुरक्षा मानकों से विभाग पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाता, तब तक आम जनता को रोपवे पर चढ़ने की अनुमति किसी भी हाल में नहीं दी जाएगी। 

मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

इधर, स्थानीय प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने की अपील की है। मांग की जा रही है कि लापरवाही बरतने वाली कंपनी को तत्काल हटाकर किसी अधिक सक्षम और अनुभवी कंपनी को यह महत्वपूर्ण कार्य सौंपा जाए। रोहतासगढ़ किला जाने वाले पर्यटकों के लिए यह रोपवे एक बड़ी उम्मीद थी, लेकिन इस हादसे ने इसकी सुरक्षा और समय सीमा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।