अमित शाह ने पुनौराधाम में रखी भव्य जानकी मंदिर की आधारशिला, अयोध्या की तर्ज पर होगा निर्माण

सीतामढ़ी ज़िले के पुनौराधाम स्थित जानकी मंदिर के पुनर्विकास की आधारशिला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रखी.

 foundation stone of Janaki temple in Punauradham
foundation stone of Janaki temple in Punauradham- फोटो : news4nation

Amit Shah:  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार के सीतामढ़ी ज़िले के पुनौराधाम स्थित जानकी मंदिर के पुनर्विकास की आधारशिला रखी. इसे देवी सीता की जन्मस्थली माना जाता है। 882.87 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली इस परियोजना के शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कई केंद्रीय मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए। अमित शाह ने सबसे पहले देवी सीता के मंदिर में पूजा की। राज्य मंत्रिमंडल ने 1 जुलाई को मंदिर परिसर के एकीकृत विकास के लिए 882.87 करोड़ रुपये स्वीकृति दी थी. 


कुल राशि में से 137 करोड़ रुपये पुराने मंदिर और उसके परिसर के विकास पर खर्च किए जाएँगे, जबकि 728 करोड़ रुपये पर्यटन संबंधी गतिविधियों पर खर्च किए जाएँगे। इसके अलावा, 10 वर्षों तक व्यापक रखरखाव पर 16 करोड़ रुपये खर्च किए जाएँगे। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम (बीएसटीडीसी) इस परियोजना का क्रियान्वयन करेगा। राज्य सरकार ने हाल ही में मंदिर के निर्माण और पुनर्विकास के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय ट्रस्ट का गठन किया है।

 21 तीर्थ स्थलों की मिट्टी और 31 नदियों का जल

कार्यक्रम को लेकर पुनौरा धाम में भव्य तैयारियां की गई हैं। संत समाज ने देशभर से पवित्र पूजन सामग्री मंगवाई है  जयपुर से चांदी का विशेष कलश, दिल्ली में निर्मित चांदी के पूजन बर्तन, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिरों का प्रसाद, 21 तीर्थ स्थलों की मिट्टी और 31 नदियों का जल। इन सभी के संगम से भूमि पूजन विधिवत संपन्न कराया जाएगा।

चांदी का कलश मुख्य आकर्षण

जयपुर में तैयार हुआ चांदी का कलश इस आयोजन का मुख्य आकर्षण है, जिसमें विशेष विधि से जल और मिट्टी भरकर पूजन स्थल पर स्थापित किया जाएगा। भारत के चारों धामों से आई मिट्टी और देश के प्रमुख तीर्थों का जल इस भूमि को और पवित्र बना देगा।

देशभर के संत-महात्मा शामिल 

न्यास परिषद ने देशभर के संत-महात्माओं, प्रमुख कथावाचकों और वैदिक आचार्यों को व्यक्तिगत आमंत्रण भेजा है। वहीं, महामंडलेश्वर अखंड संत समिति के प्रतिनिधि और देश के बड़े धार्मिक मठों के प्रमुख भी शामिल हुए हैं.