Bihar Punaura Dham: दुल्हन-सी सजी मां सीता की जन्मस्थली,पुनौरा धाम में होगा भव्य जानकी मंदिर का शिलान्यास, अमित शाह बोले‘मेरे लिए सौभाग्य’

Bihar Punaura Dham:आज का दिन साक्षी बनेगा उस क्षण का, जब पुनौरा धाम की धरती पर आधारशिला रखी जाएगी एक ऐसे मंदिर की, जो आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाता रहेगा कि आस्था, संस्कृति और परंपरा का संगम यहीं, मिथिला की गोद में, सदा-सर्वदा बहता रहेगा।

Bihar Punaura Dham
पुनौरा धाम में होगा भव्य जानकी मंदिर का शिलान्यास- फोटो : social Media

Bihar Punaura Dham:मिथिलांचल की पावन भूमि पर इतिहास रचने का क्षण आ पहुँचा है। मां सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी का पुनौरा धाम इन दिनों दुल्हन-सा सज-धज कर भक्तिरस में डूबा हुआ है। चारों ओर रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों की महक, दीपों की लौ और गगनभेदी उद्घोष“जय सियाराम”इस पूरे क्षेत्र को अद्भुत आध्यात्मिक आभा से भर रहे हैं।

आज यानी 8 अगस्त को यहां भव्य जानकी मंदिर का शिलान्यास होने जा रहा है। गुरुवार की शाम से ही पुनौरा धाम का कोना-कोना झिलमिल आभा से नहाया हुआ है। मौजूदा मंदिर को कोलकाता से आए कुशल कारीगरों ने फूलों से सजा दिया है, मानो स्वयं जनकपुरी की कन्या अपने विवाह-प्रांगण में खड़ी हो।

इस ऐतिहासिक अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत देशभर से आए संत-महात्मा, गणमान्य अतिथि और श्रद्धालु उपस्थित रहेंगे। अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज़ पर बनने वाला यह जानकी मंदिर न केवल आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर का भी अमर स्मारक बनेगा।

 अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर जानकारी शेयर करते हुए लिखा, 'शुक्रवार का दिन पूरे देश और विशेषकर मिथिलांचल के लिए अत्यंत सौभाग्य और हर्ष का दिन होने वाला है, जब बिहार के सीतामढ़ी स्थित माता सीता की जन्मभूमि में पवित्र पुनौरा धाम मंदिर एवं परिसर के समग्र विकास की वृहद योजना का शिलान्यास होगा।'

समारोह का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसी दिन शाह सीतामढ़ी-दिल्ली अमृत भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाएंगे एक ऐसी रेल सुविधा, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु मंजूरी दी थी।

पूरे मिथिलांचल सीतामढ़ी से लेकर नेपाल के जनकपुर तक उत्सव और उल्लास की लहर दौड़ पड़ी है। मठ-मंदिर दीपों से जगमगा रहे हैं, घरों के आंगन में रंगोलियां सजी हैं, और गलियों में भजन-कीर्तन की मधुर ध्वनियां गूंज रही हैं। अयोध्या, काशी, जनकपुर और दक्षिण भारत से आए संतों के पावन चरणों ने इस भूमि को और भी पवित्र बना दिया है।

शिलान्यास स्थल पर केवल साधु-संतों को प्रवेश की अनुमति होगी, वहीं आम श्रद्धालु दूर से इस पावन दृश्य का दर्शन करेंगे। अतिथियों के लिए दो विशाल जर्मन हैंगर लगाए गए हैं, ताकि समारोह की भव्यता में कोई कमी न रह जाए।

यह आयोजन केवल एक मंदिर के निर्माण की औपचारिकता नहीं, बल्कि मिथिला की आत्मा को पुनः उसके स्वर्णिम युग से जोड़ने का प्रयास है। यह वही भूमि है, जहाँ सीता ने जन्म लिया, जहाँ जनक नरेश का राजसी वैभव और ऋषियों की तपःधारा बहती रही।

आज का दिन साक्षी बनेगा उस क्षण का, जब पुनौरा धाम की धरती पर आधारशिला रखी जाएगी एक ऐसे मंदिर की, जो आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाता रहेगा कि आस्था, संस्कृति और परंपरा का संगम यहीं, मिथिला की गोद में, सदा-सर्वदा बहता रहेगा।