Sitamarhi HIV hotspot: सीतामढ़ी में HIV मामलों में तेजी से बढ़ोतरी, नाबालिगों में भी संक्रमण, स्वास्थ्य विभाग सतर्क
Sitamarhi HIV hotspot: सीतामढ़ी जिले में HIV मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। अब नाबालिग भी संक्रमित पाए जा रहे हैं। ART सेंटर के अनुसार 7948 रजिस्टर्ड मरीज है और 500 नए केस हर साल आ रहे हैं।
Sitamarhi HIV hotspot: बिहार का सीतामढ़ी जिला इन दिनों एचआईवी संक्रमण को लेकर चर्चा में है। यहां पिछले कुछ सालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, खासकर नाबालिगों में। सीतामढ़ी सदर अस्पताल स्थित एआरटी केंद्र, जो वर्ष 2012 में शुरू किया गया था, अब तक करीब आठ हजार से अधिक संक्रमित मरीजों का पंजीकरण कर चुका है। यह संख्या खुद बताती है कि स्थिति धीरे–धीरे गंभीर रूप ले रही है।
नाबालिगों में बढ़ता संक्रमण सबसे बड़ी चिंता
पहले एचआईवी के ज्यादातर मामले मध्यम आयु वर्ग में मिलते थे, लेकिन अब 18 वर्ष से कम उम्र के लड़के–लड़कियों में भी संक्रमण बढ़ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव किसी चेतावनी से कम नहीं। एआरटी केंद्र के ताज़ा रिकॉर्ड बताते हैं कि सैकड़ों बच्चे इस बीमारी से प्रभावित हैं और नियमित दवा पर निर्भर हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने दी सफाई, अन्य जिलों में स्थिति और खराब
जिले के एचआईवी नोडल अधिकारी डॉ. जावेद का कहना है कि अगर आंकड़ों की तुलना की जाए, तो बेतिया, मोतिहारी और मुजफ्फरपुर की हालत सीतामढ़ी से भी ज्यादा चिंताजनक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एचआईवी हवा, छींक या खांसी से नहीं फैलता बल्कि संक्रमित रक्त चढ़ाने, एक ही सुई के बार–बार उपयोग और असुरक्षित संबंधों के कारण फैलता है।हर दिन लगभग 250 से 300 मरीज एआरटी केंद्र में दवा लेने पहुंचते हैं, जबकि करीब 6700 मरीज फिलहाल लगातार इलाज में हैं।
आंकड़े बता रहे हैं संक्रमण की वास्तविक तस्वीर
नए रिकॉर्ड के अनुसार लगभग 8000 मरीज पंजीकृत हैं, जिनमें कई लोग वर्षों से अनवरत दवा ले रहे हैं। इतने बड़े समूह में शामिल नाबालिगों की संख्या चौंकाती है। लड़कों और लड़कियों के आंकड़े साफ बताते हैं कि संक्रमण किसी एक वर्ग में सीमित नहीं है। 2022 के बाद हर साल लगभग पाँच सौ नए मरीज जुड़ना इस बात का संकेत है कि संक्रमण की रफ्तार धीमी नहीं हो रही।
कौन–सा प्रखंड सबसे ज्यादा प्रभावित?
जिले के अलग–अलग प्रखंडों में एचआईवी के मामलों में बड़ा अंतर है। डुमरा प्रखंड सबसे अधिक प्रभावित बताया जा रहा है, जबकि चोरौत क्षेत्र में मामलों की संख्या काफी कम है।एआरटी केंद्र के प्रभारी डॉ. हसीन अख्तर बताते हैं कि हर दिन लगभग तीन सौ लोग दवा लेने आते हैं, जिससे स्पष्ट है कि कितने परिवार इस रोग से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
सरकार की सहायता योजनाएं और बढ़ती जागरूकता की जरूरत
राज्य सरकार ने एचआईवी से प्रभावित लोगों के लिए आर्थिक सहायता की कई योजनाएँ शुरू की हैं। वयस्क मरीजों के लिए मासिक वित्तीय मदद उपलब्ध है और बच्चों के लिए परवरिश योजना के जरिए हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता दी जाती है।नोडल अधिकारी डॉ. सुनील कुमार सिन्हा का कहना है कि समय पर जांच और नियमित इलाज एचआईवी को नियंत्रित करने की सबसे बड़ी कुंजी है। उनके अनुसार सही जानकारी और सुरक्षित व्यवहार अपनाकर संक्रमण को रोकना पूरी तरह संभव है