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MAHAKUMBH MELA 2025 - कोरोना काल में लापता युवक का परिवार ने चार साल पहले किया श्राद्ध, अब महाकुंभ में भीख मांगते मिला तो मां के आंखों छलके आंसू

MAHAKUMBH MELA 2025 - महाकुंभ मेले ने चार साल साल पहले गुम हुए युवक को उसके परिवार से मिला दिया। दिव्यांग युवक कोरोना काल में गुम हो गया था। जिसके बाद वह महाकुंभ में भीख मांगते हुए मिला। जैसे ही युवक अपने घर पहुंचा, मां के आंसू छलक पड़े।

MAHAKUMBH MELA 2025 - कोरोना काल में लापता युवक का परिवार ने चार साल पहले किया श्राद्ध, अब महाकुंभ में भीख मांगते मिला तो मां के आंखों छलके आंसू
महाकुंभ में मिला खोया हुआ बेटा- फोटो : ताबिश इरशाद

SIWAN - एक तरफ महाकुंभ में हुए हादसों ने कई लोगों के घर में मातम फैला दिया है। वहीं कुछ लोगों के लिए महाकुंभ बड़ी खुशी लेकर आया है। सिवान जिले में ऐसी ही एक घटना हुई है। यहां चार साल पहले गुम दिव्यांग युवक महाकुंभ में मिला। यहां वह भीख मांग रहा था। लेकिन गांव के लोगों ने उसे पहचान लिया और पुलिस को जानकारी दी। जिसके बाद उसे वापस घर भेज दिया गया। 

सिवान जिले के हुसैनगंज के 25 वर्षीय *परमेश्वर पंडित*, जो दोनों पैरों से विकलांग और गूंगे हैं, 4 साल 4 महीने बाद प्रयागराज के महाकुंभ में भीख मांगते हुए मिले। उन्हें नवंबर 2020 में छठ के दिन सिवान जाने के बाद अपहरण कर लिया गया था। अपहरणकर्ताओं ने उन्हें मारपीट कर घायल किया और भीख मंगवाया।  

कैसे हुई वापसी 

महाकुंभ में स्नान करने गए गाँव के कुछ युवकों ने परमेश्वर को व्हीलचेयर पर भीख मांगते देखा। उन्हें पहचानकर गाँव वालों ने पुलिस को सूचित किया। अपहरणकर्ता ने उन्हें अपना भाई बताने की कोशिश की, लेकिन परिवार द्वारा आधार कार्ड और जानकारी देने के बाद पुलिस ने युवक को छुड़ाकर गाँव भेज दिया।  

माँ की आँखों का सपना पूरा

माँ रेखा देवी ने बताया कि वह कोरोना काल से पुत्र की तलाश में थीं, यहाँ तक कि दिसंबर 2024 में उनका श्राद्ध भी कर दिया गया था। पुत्र को गोद में पाकर वह भावुक हो गईं: "मैं थक गई थी, पर अब मेरा बेटा मेरे साथ है"।  

परिवार की विपत्तियाँ  

परमेश्वर के पिता की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी, और 2024 में उनके बड़े भाई की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। माँ मजदूरी करके परिवार चलाती हैं।  

चमत्कार या संयोग  

गाँव वालों का मानना है कि यह भगवान की कृपा है। अपहरणकर्ता फरार हो गया, लेकिन परमेश्वर का सही-सलामत लौटना परिवार के लिए "जिसको रखे साईयां..." वाली कहावत को सच कर दिखाया।

सिवान से ताबिश इरशाद की रिपोर्ट

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