Bihar siwan: सिवान में सम्राट अशोक जयंती पर भव्य आयोजन, लोगों ने की 'गौरव दिवस' और राष्ट्रीय अवकाश की मांग

बिहार के सिवान जिले में सम्राट अशोक जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई। लोगों ने इसे "गौरव दिवस" घोषित करने और राष्ट्रीय अवकाश की मांग की।

Bihar siwan: सिवान में सम्राट अशोक जयंती पर भव्य आयोजन, लोगो
Bihar siwan ashoka- फोटो : news4nation

Bihar siwan ashoka jayanti: बिहार के सिवान जिले में महान सम्राट अशोक की जयंती को बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध वकील राजीव रंजन ने की। यह आयोजन सम्राट अशोक के सम्मान में आयोजित किया गया था, जिन्हें भारतीय इतिहास में एक महान शासक और शांति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए, जिससे इसकी भव्यता और महत्व और भी बढ़ गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ और राजीव रंजन का अध्यक्षीय भाषण

कार्यक्रम की शुरुआत सम्राट अशोक की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इसके बाद, राजीव रंजन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सम्राट अशोक के जीवन और उनके आदर्शों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने अपने जीवन में एक ऐतिहासिक परिवर्तन किया था। कलिंग युद्ध के बाद उन्होंने हिंसा का मार्ग त्यागकर अहिंसा और धर्म के प्रचार-प्रसार का रास्ता अपनाया। इस निर्णय ने उन्हें एक क्रूर योद्धा से शांति और करुणा के प्रतीक में बदल दिया। उनके शासनकाल में भारत ने शांति और समृद्धि का अनुभव किया। इसके साथ ही, उन्होंने बौद्ध धर्म को न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

राजीव रंजन ने अपने भाषण में यह भी कहा, "सम्राट अशोक का जीवन हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनके द्वारा दिखाए गए अहिंसा, शांति और जनकल्याण के मार्ग आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। उनकी जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने से युवा पीढ़ी को उनके मूल्यों और आदर्शों से परिचित होने का अवसर मिलेगा। यह हमारे समाज में शांति, अहिंसा और धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी सहायक होगा।" उनके इस कथन को उपस्थित जनसमूह ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ समर्थन दिया।

Nsmch
NIHER

लोगों की मांग: "गौरव दिवस" और राष्ट्रीय अवकाश

इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में सरकार से मांग की कि सम्राट अशोक की जयंती को "गौरव दिवस" के रूप में घोषित किया जाए। उनका मानना था कि सम्राट अशोक जैसे महान शासक की जयंती को एक विशेष सम्मान के साथ मनाया जाना चाहिए, ताकि उनके योगदान को देशभर में याद किया जा सके। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता दी जाए। लोगों का कहना था कि राष्ट्रीय अवकाश होने से देश के हर कोने में लोग इस दिन को सम्राट अशोक के जीवन और उनके आदर्शों को याद करने के लिए समर्पित कर सकेंगे। यह समाज में उनके दिखाए गए शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा को भी बढ़ावा देगा।

सम्राट अशोक के योगदान पर चर्चा

कार्यक्रम में शामिल विभिन्न वक्ताओं ने सम्राट अशोक के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। एक वक्ता ने बताया कि सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में धर्म दूतों को विदेशों में भेजकर बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया। उनके द्वारा स्थापित स्तंभ और शिलालेख आज भी उनके शासन की महानता और उनके संदेशों के प्रमाण के रूप में मौजूद हैं। एक अन्य वक्ता ने उनकी सामाजिक और आर्थिक नीतियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने जनकल्याण को सर्वोपरि माना और अपनी प्रजा के हित के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जैसे कि सड़कों का निर्माण, वृक्षारोपण, और अस्पतालों की स्थापना।

स्मारकों के संरक्षण की अपील

इसके अलावा, उपस्थित लोगों ने सरकार से यह भी अपील की कि सम्राट अशोक के सम्मान में देश भर में उनके स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण किया जाए। उनका मानना था कि इन स्मारकों का संरक्षण न केवल हमारे गौरवशाली इतिहास को बचाए रखेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी सम्राट अशोक के जीवन और उनके योगदान से सीखने का अवसर प्रदान करेगा। लोगों ने यह भी सुझाव दिया कि स्कूलों और कॉलेजों में सम्राट अशोक के जीवन और उनके कार्यों पर विशेष पाठ्यक्रम शामिल किए जाएं, ताकि छात्र-छात्राएं उनके आदर्शों से प्रेरणा ले सकें।

शांति और अहिंसा का संदेश

इस आयोजन का उद्देश्य न केवल सम्राट अशोक के प्रति सम्मान व्यक्त करना था, बल्कि समाज में शांति और अहिंसा के संदेश को मजबूत करना भी था। उपस्थित लोगों ने सम्राट अशोक के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकल्प लिया। यह आयोजन एक स्मृति समारोह से कहीं अधिक था; यह एक ऐसा मंच बन गया जहाँ लोगों ने अपने विचार साझा किए और समाज में बदलाव की दिशा में कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई।

समापन और भविष्य की प्रतिबद्धता

कार्यक्रम के अंत में, राजीव रंजन ने सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "इस तरह के आयोजन हमारे महान पूर्वजों के योगदान को याद रखने और उनके दिखाए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। हम भविष्य में भी ऐसे आयोजन जारी रखेंगे, ताकि हम अपने इतिहास और संस्कृति से जुड़े रहें।" उनके इस वक्तव्य के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ, लेकिन यह आयोजन लोगों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ गया।

सिवान से ताबिश इरशाद की रिपोर्ट