Bihar Politics: बढ़ने लगी सियासी सरगर्मी, दलित वोट बैंक पर भाजपा की नजर, सामाजिक समरसता की पहल
Bihar Politics: राज्य में 2025 में संभावित विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, भाजपा दलित समुदाय को अपने पक्ष में लाने की रणनीति पर काम कर रही है।

Bihar Politics: भारतीय जनता पार्टी बिहार में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल से 28 अप्रैल तक अंबेडकर पखवाड़ा मना रही है। इस दौरान संविधान जागरूकता, सामाजिक न्याय और दलित सशक्तिकरण से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम पूरे राज्य में चलाए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य अंबेडकर के विचारों को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना और समाज में बराबरी का संदेश फैलाना है।सीवान जिले में इस अभियान की अगुवाई भाजपा नेता मनोज राम कर रहे हैं। जिले भर में संविधान पाठ, विचार गोष्ठियों और जनजागरूकता रैलियों का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषकर दलित समुदाय और युवाओं की सक्रिय भागीदारी रही।राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा इस अभियान से दलित और पिछड़े वर्गों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
बिहार सरकार के मंत्री और भाजपा नेता जनक चमार ने अंबेडकर पखवाड़े को "सच्चे सामाजिक परिवर्तन की दिशा में ठोस कदम" बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा बाबा साहेब को सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं देती, उनके विचारों को लागू करने का कार्य करती है।उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत रत्न देने का फैसला अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने किया था, जबकि कांग्रेस ने केवल वोटबैंक की राजनीति की है।
पखवाड़े के दौरान संविधान प्रस्तावना का पाठ, दलित कला प्रदर्शनी, अंबेडकर विचार मंच, और 'संविधान संवाद' जैसे आयोजनों के माध्यम से आम लोगों को संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।मनोज राम ने कहा कि यह केवल राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में हमारी गंभीर प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
राज्य में 2025 में संभावित विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, भाजपा दलित समुदाय को अपने पक्ष में लाने की रणनीति पर काम कर रही है। यह अभियान भाजपा की सामाजिक सोच और व्यापक जनाधार बनाने की कोशिशों का हिस्सा है।भाजपा अब जातीय राजनीति से आगे बढ़कर सामाजिक बदलाव और विचारधारा आधारित राजनीति की ओर बढ़ रही है। अंबेडकर पखवाड़ा इस दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
सिवान से ताबिश इरशाद की रिपोर्ट