Bihar News: विश्व लाफ्टर डे विशेष: सिवान के नागेश्वर दास बने विश्व के दूसरे लाफिंग बुद्धा

आज अगर आप गूगल पर सर्च करें विश्व का दूसरा लाफिंग बुद्धा कौन है तो नागेश्वर दास का नाम सबसे ऊपर आता है। आज वे दुनिया भर में दूसरे लाफिंग बुद्धा के रूप में पहचाने जाते हैं

Nageshwar Das
Nageshwar Das - फोटो : news4nation

Bihar News: जब हँसी एक मिशन बन जाए, तो वह सिर्फ मुस्कान नहीं फैलाती, बल्कि जीवन बदल देती है। बिहार के सिवान जिले के रहने वाले नागेश्वर दास ने यही कर दिखाया है। आज वे दुनिया भर में दूसरे लाफिंग बुद्धा के रूप में पहचाने जाते हैं और भारत को हँसी का अनमोल वरदान देकर गौरवान्वित कर रहे हैं।  


हँसी की ताकत: एक सामाजिक क्रांति


नागेश्वर दास का जीवन संघर्ष और सेवा की एक ऐसी मिसाल है, जो साबित करती है कि हँसी किसी भी व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत हो सकती है। वे न सिर्फ मंचों पर हँसाते हैं, बल्कि जेलों, स्कूलों, अस्पतालों और गाँवों तक में जाकर लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाते हैं। उनका मानना है कि हँसी किसी भी दर्द की सबसे बड़ी दवा है, जो बिना बोले ही सब कुछ ठीक कर देती है। 


गूगल सर्च में छाई सिवान की हँसी


आज अगर आप गूगल पर सर्च करें विश्व का दूसरा लाफिंग बुद्धा कौन है तो नागेश्वर दास का नाम सबसे ऊपर आता है। यह उनके समर्पण और लगातार समाज में हँसी फैलाने के प्रयासों का नतीजा है। उनकी पहचान अब सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन बन चुकी है।  

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जेल से लेकर स्कूल तक: हँसी का सफर


नागेश्वर दास का काम सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है। वे जेलों में कैदियों के बीच जाते हैं और उनके चेहरों पर मुस्कान लाकर उन्हें नई जिंदगी का संदेश देते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में वे छात्रों और शिक्षकों के बीच ऊर्जा और उत्साह भरते हैं। गाँव की चौपालों से लेकर शहर के चौराहों तक, वे हर जगह हँसी का अलख जगाते हैं।  


उनका कहना है,मैं रोने वाला नहीं, हँसी बाँटने वाला हूँ। यही सोच उन्हें एक सामाजिक चेतना का प्रतीक बनाती है।  हँसी हर घर की ज़रूरत" – एक आंदोलन बन चुका नारा 


नागेश्वर दास का नारा हँसी हर घर की ज़रूरत अब सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि एक बड़ा आंदोलन बन चुका है। वे मानते हैं कि हँसी फैलाने के लिए पैसों की नहीं, बल्कि भावना की जरूरत होती है। आज के तनाव भरे दौर में, जहाँ लोग अवसाद और चिंता से जूझ रहे हैं, नागेश्वर दास की हँसी एक मरहम की तरह काम करती है।  


विश्व लाफ्टर डे पर विशेष संदेश  

विश्व लाफ्टर डे के इस खास मौके पर नागेश्वर दास का संदेश साफ है – हँसी का कोई धर्म, जाति या देश नहीं होता। जो इसे बाँटता है, वही सच्चा इंसान है।  उनकी यह यात्रा साबित करती है कि छोटे शहरों और गाँवों से भी ऐसे लोग निकल सकते हैं, जो पूरी दुनिया को बदलने की ताकत रखते हैं। सिवान जैसे जिले से निकलकर विश्व पटल पर छा जाना कोई आसान बात नहीं, लेकिन नागेश्वर दास ने यह कर दिखाया है।  जिंदगी में अगर कुछ बाँटना है, तो हँसी बाँटिए – क्योंकि यही एक चीज है जो बढ़ती ही जाती है।

पटना से अनिल की रिपोर्ट