SIWAN - अमृतसर से जयनगर जाने वाली शहीद एक्सप्रेस ट्रेन में एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया। यह घटना न केवल यात्रियों के लिए चौंकाने वाली थी, बल्कि रेलवे अधिकारियों के त्वरित और प्रभावी कार्य के कारण यह एक सुखद अनुभव में बदल गई। रेलवे के क्विक एक्शन के कारण प्रसुता और उसका बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
घटना का विवरण
ट्रेन नंबर 14674 शहीद एक्सप्रेस, जो अमृतसर से जयनगर की यात्रा कर रही थी, के स्लीपर क्लास के बोगी नंबर 2 में कुछ ही समय के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस बोगी की सीट नंबर 8 पर बैठी महिला, सुनीता देवी, अपने पति राजेश पासवान के साथ यात्रा कर रही थीं। राजेश, जो समस्तीपुर के निवासी हैं, अपनी पत्नी के साथ अम्बाला से सवार हुए थे। जब ट्रेन शुक्रवार को देवरिया स्टेशन पर पहुंची, तभी सुनीता देवी को अचानक पेट में तेज दर्द होने लगा। दर्द बढ़ने पर उन्होंने वहां ही बच्चे को जन्म दे दिया।
रेलवे विभाग की तत्परता
इस अप्रत्याशित घटना के बाद ट्रेन में कुछ समय के लिए अराजकता फैल गई। ट्रेन में मौजूद टिकट निरीक्षक प्रकाश सिंह और उनके सहयोगी सोनू सिंह ने तुंरत स्थिति का आकलन किया और अन्य यात्रियों को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने तुरंत रेलवे को सूचना दी कि एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया है। इसके बाद, TTE (ट्रेन टिकट परीक्षा) ने रेलवे के हेल्प डेस्क को सूचित किया और सिवान जंक्शन पर मेडिकल टीम को तैयार करने का निर्देश दिया।
सिवान जंक्शन पर मेडिकल सहायता
जब ट्रेन सिवान जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या 3 पर पहुंची, तो वहां पहले से तैयार मेडिकल टीम ने स्लीपर क्लास के बोगी नंबर 2 के सीट नंबर 8 पर जाकर महिला और बच्चे की जांच की। डॉक्टर विपुल कुमार ने कहा, "मैंने महिला और बच्चे की जांच की है, और दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं। हालांकि, उन्हें और अधिक जांच के लिए सिवान सदर अस्पताल भेजा जाएगा ताकि उनकी स्वास्थ्य स्थिति की पुष्टि हो सके।"
यात्रियों की प्रतिक्रिया
इस घटना के दौरान, ट्रेन में मौजूद अन्य यात्रियों ने भी अपनी भावनाओं का इज़हार किया। कुछ यात्रियों ने कहा कि यह एक अद्भुत अनुभव था, जबकि अन्य ने रेलवे की तत्परता की सराहना की। एक यात्री ने कहा, "यह देखकर अच्छा लगा कि रेलवे ने इतनी जल्दी मदद पहुंचाई। यह एक जीवन का नया अध्याय शुरू करने का क्षण था।
टिकट निरीक्षक प्रकाश सिंह ने बताया कि सुनीता देवी अंबाला कैंट से स्लीपर क्लास के बोगी नंबर-2 पर समस्तीपुर के लिए सफर कर रही थीं। गोरखपुर से ट्रेन खुलने के कुछ समय बाद ही यह घटना हुई। रेलवे की त्वरित कार्रवाई से जच्चा और बच्चा दोनों को सुरक्षित रूप से सिवान सदर अस्पताल भेजा गया, जहाँ उनकी पूरी देखभाल की गई।
इस प्रकार, रेलवे की मुस्तैदी और तत्परता ने न केवल एक संघर्षपूर्ण परिस्थिति को संभाला, बल्कि एक नए जीवन के आगमन को उत्सव में बदल दिया। सभी की दुआओं और रेलवे कर्मचारियों की मेहनत से सुनीता देवी और उनके नवजात बेटे की स्थिति अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
सिवान से ताबिश इरशाद की रिपोर्ट