Hanumanji Kalyug ke Devta: : कलियुग के देवता हनुमान जी को माना जाता है। हनुमान जी बुद्धिमान, बलशाली और संयमी हैं। उनके शरीर के साथ-साथ उनका मन भी अत्यंत शक्तिशाली था। अष्ट चिरंजीवियों में शुमार हनुमान जी अपने इन गुणों के कारण देवों के समान पूजे जाते हैं। हनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। यही कारण है कि आज देश में राम मंदिरों से कहीं अधिक हनुमान मंदिर हैं। राम ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था, इसलिए आज भी वे हमारे बीच विराजमान हैं। अमंगल का नाश करने वाले देव हैं पवनसुत।मंगल मूरति, मारुति नंदन सकल अमंगल मूल निकंदन
मंगलवार, जो कि मंगल ग्रह और भगवान हनुमान को समर्पित है, भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन विधि-विधान से की गई हनुमान जी की पूजा से न केवल शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर होते हैं, बल्कि जीवन में आ रही सभी समस्याओं का समाधान भी मिलता है। मान्यता है कि मंगलवार के दिन किए गए उपायों से बजरंगबली शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा दृष्टि से भक्तों के सभी कार्यों में सफलता प्रदान करते हैं।
हनुमान जी, बल, बुद्धि और विद्या के अद्भुत संगम थे। उन्होंने लंका दहन के समय अपनी असीम शक्ति का प्रदर्शन किया, रावण के साथ युद्ध में अपनी बुद्दिमानी से विजय प्राप्त की और सूर्य देव से विद्या प्राप्त कर ज्ञान का भंडार भर लिया। इन गुणों के कारण ही वे भगवान राम के परम भक्त बन सके और संकटमोचन के रूप में जाने गए।
आत्मज्ञान लिए बल, बुद्धि और विद्या इन तीनों गुणों का होना आवश्यक माना गया है। बल हमें कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देता है, बुद्धि हमें सही मार्ग चुनने में मदद करती है और विद्या हमें आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान करती है। हनुमान जी , बल, बुद्धि और विद्या के सागर हैं।
भक्त शिरोमणि हनुमान, जन्म से ही राम भक्ति में लीन। वानरराज सुग्रीव से मित्रता गाठनी हो, या सीता माता की खोज में अथाह सागर को पार करना हो, स्वर्ण नगरी को जलाकर लंकापति का अहंकार चूर-चूर करना हो, या संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को नया जीवन देना हो, हर कदम पर हनुमान जी.. राम काज लगी तव अवतारा, सुनत हीं भयउं पर्वताकारा ...
सीता माता की खोज में जब महावीर हनुमान समुद्र पार कर रहे थे, तब देवताओं के इशारे पर सुरसा ने उन्हें निगलने के लिए अपना विशाल मुख खोल दिया। हनुमान ने भी अपना रूप बढ़ा लिया, तो सुरसा ने भी सौ योजन का मुख कर लिया। तब हनुमान जी लघु रूप धारण कर सुरसा के मुख में प्रवेश कर गए और फिर बाहर निकल आए। सुरसा हनुमान की बुद्धि देखकर चकित रह गई और उन्हें आशीर्वाद देकर विदा किया। इसी तरह, सिंहिका के रूप में प्रकट हुई रावण की बहन को भी हनुमान ने अपनी बुद्धि से परास्त किया
रामकथा में हनुमान जी का चरित्र इतना प्रखर है कि उसने राम के आदर्शों को गढ़ने में अहम भूमिका निभाई। रामकथा में हनुमान जी के चरित्र से हम जीवन के सूत्र हासिल कर सकते हैं। वीरता, साहस, सेवाभाव, स्वामिभक्ति, विनम्रता, कृतज्ञता, नेतृत्व और निर्णय क्षमता जैसे हनुमान के गुणों को अपने भीतर उतारकर हम सफलता के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।
रावण के स्वर्णलंका पर दौलत का अहंकार छाया था, लेकिन हनुमान जी ने उसका अस्तित्व ही मिटा दिया। यह सिर्फ एक भवन का दहन नहीं था, बल्कि अहंकार के प्रतीक का नाश था। ठीक इसी तरह, महाभारत के युद्ध के बाद, भीम और अर्जुन को शक्ति मिलने पर घमंड हो गया था। श्रीकृष्ण के आदेश पर हनुमान जी ने उनकी इस अहंकार की आग को बुझा दिया।कलियुग के जाग्रत देवता को बारंबार प्रणाम है...