Karva Chauth 2024: करवा चौथ विवाहित हिंदू महिलाओं का एक महत्वपूर्ण व्रत है। जिसमें वे अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। इस व्रत को करने की एक विशेष विधि है, जिसमें कुछ नियमों और मंत्रों का जाप शामिल होता है। करवा चौथ को हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह भारत के जम्मू, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती स्त्रियाँ मनाती हैं। आज सभी सुहागन महिलाएं करवा चौथ की व्रत कर रही है। ऐसे में हम आपको करवा चौथ पूजा की विधि, मंत्र और चंद्रोदय का समय बताएंगे।
चंद्रोदय का समय
पंचांग के अनुसार, करवा चौथ पर चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट से शुरू हो चुकी है और 21 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में शाम होने के बाद से ही महिलाओं को चांद के निकलने का इंतजार रहता है। इस बार चांद देखने के लिए चंद्रमा का उदय शाम 7 बजकर 40 मिनट पर हो जाएगा। चांद निकले बाद सुहागन महिलाएं चांद की पूजा कर अपना निर्जला व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ पूजन मुहूर्त
वहीं, करवा चौथ के लिए दो पूजन मुहूर्त मिलेंगे- पहला अभिजीत मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा और फिर, दोपहर 1 बजकर 59 मिनट से लेकर 2 बजकर 45 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।
करवा चौथ की पूजा विधि
करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें। संकल्प मंत्र: "मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।" जिसके बाद दिन भर के लिए श्रृंगार करें और सुंदर वस्त्र धारण करें। पूजा की थाली सजाएं जिसमें दीपक, गणेश जी की मूर्ति, करवा, रोली, चंदन, फूल आदि शामिल हों। जिसके बाद गणेश जी की पूजा करें और फिर अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें।
चंद्रमा को दें अर्घ्य
वहीं शाम को चंद्रमा निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत खोलें। चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र: "ॐ सोम सोमाम्बुधिजा ज्योतिषामणि:। रोगान् हरन्निवृत्तिम कुरु मम॥" चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपने पति को जल पिलाएं। पूजा के नियमों की बात करें तो यह व्रत निर्जला होता है। सुहागन स्त्री पूरे दिन पानी भी नहीं पीती हैं। सूर्यास्त के बाद ही भोजन करना चाहिए। कुछ महिलाएं इस दिन सात रंगों के कपड़े पहनती हैं। और 16 प्रकार के श्रृंगार करती हैं।
महत्वपूर्ण मंत्र
गणेश मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः
शिव पार्वती मंत्र: ॐ नमः शिवाय, ॐ जय पार्वती माता
चंद्रमा मंत्र: ॐ सोम सोमाम्बुधिजा ज्योतिषामणि:। रोगान् हरन्निवृत्तिम कुरु मम॥