हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, एक साल में दो बार खरमास लगते हैं। ज्योतिष के अनुसार, सूर्यदेव एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं, जब सूर्यदेव धनु और मीन राशि में गोचर करते हैं, तो सूर्यदेव के तेज प्रभाव से धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव कम हो जाता है। इसकी वजह से खरमास शुरू हो जाता है। धार्मिक मान्यता है कि खरमास के दौरान मांगलिक और शुभ कार्य करना वर्जित होता है। खरमास में सूर्यदेव और श्रीहरि विष्णु की पूजा करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि खरमास में जाने-अनजाने में की गई कुछ गलतियों की वजह से व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पंचांग के अनुसार, इस बार खरमास 15 दिसंबर से शुरू होने वाला है और इसका समापन अगले साल यानी 14 जनवरी को होगा। धार्मिक मान्यता है कि खरमास के दौरान शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए क्योंकि इस दौरान सभी मांगलिक कार्य पूर्ण रूप से वर्जित होते हैं। हालांकि यह समय सूर्य उपासना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। आइए जानते हैं कि खरमास में क्या करें और क्या न करें।
इस बार सूर्य देव 15 दिसंबर की रात 10:19 मिनट पर धनु राशि में गोचर करेंगे। इस अवधि पर धनु संक्रांति होगी। ऐसे में खरमास 15 दिसंबर से शुरू होगा। वहीं, इसका समापन 2025 में 14 जनवरी को होगा। बता दें कि खरमास में सूर्यदेव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। खरमास में मंदिर या गरीबों को अन्न और धन का दान करना चाहिए। खरमास में पूजा के दौरान मंत्रों का जप करना चाहिए। खरमास में सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। अब बात करेंगे खरमास में क्या नहीं करना चाहिए। इस दौरान कोई भी मांगलिक और शुभ काम नहीं करना चाहिए। खरमास में मुंडन,गृह प्रवेश और सगाई आदि कार्य नहीं करनी चाहिए। खरमास में घर बनवाने की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। खरमास में तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। खरमास में किसी का अपमान और वाद-विवाद नहीं करना चाहिए। खरमास में नया वाहन और मकान नहीं खरीदना चाहिए।