Pitru Paksha Mela: आश्विन माह के बाद अब पौष माह में मिनी पितृपक्ष शुरू होने जा रहा है। गया में 15 दिसंबर से मिनी पितृ पक्ष मेले की शुरूआत हो जाएगी। कृष्ण पक्ष में पिंडदान का महत्व बढ़ जाता है। तीर्थयात्री अपने पूर्वजों का गया में श्राद्ध करने आते हैं। पंडों के मुताबिक यह समय उत्तम समय माना जाता है। पिंडदान के नजदीक आते ही विष्णुपद मंदिर से जुड़े पंडा समाज के लोग काफी उत्साहित हैं और अपने-अपने क्षेत्र के तीर्थ यात्रियों को गया लाने की जुगाड़ में जुटे हैं। यही नहीं तीर्थ यात्रियों के लिए हर संभव सुविधा मुहैया कराने के लिए भी अपनी ओर से जुट गए हैं। इस साल इस दिसंबर महीने के मिनी पितृपक्ष मेले में देश के विभिन्न राज्यों से 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
पिंडदान कर गंगा सागर की ओर रुख करते
एक महीने तक चलने वाला यह मेला 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन गंगा दशहरा के साथ संपन्न होगा। यहां प्राचीन काल से ही हर साल पौष माह में मिनी पितृ पक्ष मेले का आयोजन होता आ रहा है। पंडा समाज की मानें तो मिनी पितृपक्ष में 5 लाख से अधिक तीर्थ यात्रियों के आने उम्मीद है। पंडों का कहना है कि गंगा सागर जाने वाले तीर्थ यात्री यहां पहले पिंडदान करते हैं, फिर गंगा सागर की ओर रुख करते हैं। पंडों का कहना है कि इस मेले में आने वाले अधिकांश पिंडदानी एक दिवसीय या तीन दिवसीय पिंडदान कर्मकांड करते हैं।
पौष माह में पिंडदान करने से क्या होता है?
शास्त्रों के अनुसार, सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही पिंडदान का महत्व बढ़ जाता है। इसके अलावा पौष मास के दौरान ठंड भी गया क्षेत्र में तीव्र पड़ता है। ऐसे में ठंडे प्रदेश के यात्री पौष माह में आना चाहते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि पौष माह में जिन पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है वे तुरंत बैकुंठ लोक को वास करने चले जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि सामान्य महालय पक्ष का छोटा रुप ही पौष माह का पितृ पक्ष है।