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शरद पूर्णिमा 2024: चंद्रमा की किरणों से पित्त रोगों का उपचार, जानिए रात की खीर का रहस्य!

शरद पूर्णिमा 2024: चंद्रमा की किरणों से पित्त रोगों का उपचार, जानिए रात की खीर का रहस्य!

Sharad Purnima: 16 अक्टूबर 2024, बुधवार को शरद पूर्णिमा का पावन पर्व है। इस दिन चन्द्रमा की शीतल किरणों में रखी दूध-चावल की खीर का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। विशेष रूप से यह खीर पित्त से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है। लोक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को सुई में धागा पिरोने से नेत्रज्योति में वृद्धि होती है। यह रात न केवल स्वास्थ्य, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्त्वपूर्ण मानी जाती है।


शरद पूर्णिमा आध्यात्मिक जागरण की रात : शरद पूर्णिमा की रात्रि को आध्यात्मिक उन्नति के लिए जागरण करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस पवित्र रात में जप, ध्यान और कीर्तन करने से आत्मिक उन्नति होती है। पूज्य बापूजी के अनुसार, इस रात को सोना नहीं चाहिए, बल्कि अधिक से अधिक समय ध्यान और भजन में बिताना चाहिए। यह साधना आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करती है।


चन्द्र दर्शन से पित्त रोगों का समाधान: शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा के दर्शन से 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में लाभ होता है। लोक मान्यता है कि इस रात को कम से कम 15 मिनट तक चन्द्रमा की किरणों को एकटक निहारने से शरीर और मन को शांति मिलती है। जिन्हें नेत्रज्योति में वृद्धि करनी हो, वे इस रात सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें। ध्यान, भजन, और चन्द्र दर्शन शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यंत लाभदायक माने जाते हैं।


रात की खीर पवित्र प्रसाद: इस शुभ रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी दूध-चावल या दूध-पोहे की खीर का सेवन किया जाता है। इसे छत पर या खुले आकाश के नीचे महीन कपड़े से ढँक कर रखा जाता है। रात के 9 बजे से 12 बजे के बीच इसका सेवन करने से विशेष लाभ मिलता है

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