मंगलवार, 26 नवंबर को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। एक साल में कुल 24 एकादशियां रहती हैं और जिस साल में एक अधिकमास रहता है, तब एकादशियों की संख्या 26 हो जाती है। इस तिथि के स्वामी भगवान विष्णु माने गए हैं। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की ग्याहरवीं तिथि पर देवी एकादशी प्रकट हुई थीं, इसी वजह से इस तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं।
उत्पन्ना एकादशी और मंगलवार के योग में इस दिन भगवान विष्णु-लक्ष्मी के साथ ही हनुमान जी और मंगल ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। इस दिन विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बालगोपाल का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है, इसमें सालभर की सभी एकादशियों के बारे में बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने पांडव युधिष्ठिर को सभी एकादशियों के बारे में बताया था। जो भक्त एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें विष्णु जी की कृपा से सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है।
इस दिन भगवान विष्णु मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए। भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। अभिषेक जल और दूध से करना चाहिए। दोनों देवी-देवताओं को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। तुलसी के पत्तों के साथ मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाएं। पूजा में भगवान के सामने एकादशी व्रत करने का संकल्प लें। जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें पूरे दिन निराहार रहना चाहिए, सुबह और शाम को विष्णु जी की विशेष पूजा करनी चाहिए। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर भी सुबह पूजा करें, पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और फिर खुद भोजन ग्रहण करें।
एकादशी पर शिव पूजा भी करें। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, हार-फूल, चंदन से श्रृंगार करें। किसी मंदिर में शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बाल गोपाल का अभिषेक करें। तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।