'भारत छोड़ो आंदोलन' के नायक 103 वर्षीय जयवीर झा का निधन, गांधी जी की सभा का गवाह रहा है इनका गांव
'भारत छोड़ो आंदोलन' में सक्रिय भूमिका निभाने वाले 103 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी जयवीर झा का निधन हो गया है। उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
Supaul - सुपौल सदर प्रखंड के जगतपुर गांव निवासी और देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जयवीर झा का रविवार की देर रात निधन हो गया। वे 103 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। एक सच्चे देशभक्त और गांधीवादी विचारधारा के प्रहरी के चले जाने से गांव के लोग मर्माहत हैं। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण और गणमान्य लोग उनके आवास पर पहुंचे।
प्रशासन ने दी अंतिम विदाई
स्वतंत्रता सेनानी के निधन की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन के कई वरीय अधिकारी जगतपुर पहुंचे। वरीय उप समाहर्ता पुष्पा कुमारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) किरण कुमारी और सर्किल इंस्पेक्टर संजय कुमार यादव ने पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा जिला परिषद सदस्य रजनीश कुमार सिंह, मुखिया प्रतिनिधि प्रवीण कुमार सिंह, परिजनों और ग्रामीणों ने भी नम आंखों से उन्हें विदाई दी।
छोटी उम्र में कूद पड़े थे आजादी की जंग में
जयवीर झा ने बहुत कम उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम में अपनी आहुति देने का फैसला कर लिया था। ग्रामीणों और परिजनों के मुताबिक, उन्होंने 'भारत छोड़ो आंदोलन' (Quit India Movement) में अहम भूमिका निभाई थी। वे अक्सर बताया करते थे कि आंदोलन में सक्रिय रहने के कारण उन्हें अंग्रेजी सिपाहियों के कोप का भाजन बनना पड़ा था। उन्होंने अंग्रेजों की लाठियां खाईं और गिरफ्तारी से बचने के लिए कई-कई दिनों तक भूखे-प्यासे इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन कभी हार नहीं मानी। आज उनके जाने से वह पीढ़ी हमारे बीच से चली गई, जो अंग्रेजों के अत्याचार और संघर्ष की दास्तां अपनी जुबानी सुना सकती थी।
क्रांतिकारियों का गढ़ रहा है जगतपुर
जगतपुर गांव का इतिहास भी क्रांतिकारियों से भरा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि यह गांव कभी क्रांतिकारियों का गढ़ हुआ करता था। स्वयं महात्मा गांधी ने जगतपुर गांव आकर यहां स्थित एक पीपल के पेड़ के नीचे विशाल जनसभा को संबोधित किया था। जयवीर झा उसी दौर के गवाह थे और गांधीजी के आह्वान पर उन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया था।
Report - arvind kumar mishra