Honoring Valor: मातृभूमि की रक्षा में न्यौछावर हुआ जीवन,श्रीनगर में घायल जवान सावन कुमार ने तोड़ा दम, पार्थिव शरीर पहुंचा वैशाली

पुणे मिलिट्री हॉस्पिटल में लंबी जंग के बाद जवान सावन कुमार सिंह ने दम तोड़ दिया। वर्ष 2021 में श्रीनगर में ड्यूटी के दौरान घायल होने के बाद से वे लगातार इलाजरत थे।

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मातृभूमि की रक्षा में न्यौछावर हुआ जीवन- फोटो : reporter

Honoring Valor: वैशाली जिले का फतेहपुर गांव तब गमगीन हो उठा, जब सेना के 34 वर्षीय जवान सावन कुमार सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा। पुणे मिलिट्री हॉस्पिटल में लंबी जंग के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। वर्ष 2021 में श्रीनगर में ड्यूटी के दौरान घायल होने के बाद से वे लगातार इलाजरत थे।

सावन कुमार सेवानिवृत्त सैनिक ललन प्रसाद सिंह के पुत्र थे और बचपन से ही फौज में जाने का सपना देखा था। प्रारंभिक पढ़ाई गांव के शिशु विद्या मंदिर से करने के बाद 2010 में पटना के दानापुर आर्मी भर्ती में उनका चयन हुआ। वे जांबाज सैनिक के रूप में देश की सेवा में जुट गए। 2015 में उनकी शादी निधि कुमारी से हुई, लेकिन किस्मत ने उनके वैवाहिक जीवन को लंबा सुख नहीं दिया।

उनके परिवार में सैन्य परंपरा गहराई तक बसी है। दो चचेरे भाई सीआरपीएफ और इंडियन नेवी में कार्यरत हैं, एक भाई यूपी पुलिस में तैनात है, जबकि चाचा चंदेश्वर प्रसाद सिंह सीआरपीएफ की 96 बटालियन में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस वीर परंपरा का एक और सितारा अब हमेशा के लिए बुझ गया।

सावन कुमार श्रीनगर में चोटिल होने के बाद दानापुर, लखनऊ और भेलौर के मिलिट्री हॉस्पिटल में इलाज कराते रहे। हाल ही में पुणे पोस्टिंग के दौरान उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

उनके मित्र रौशन कुमार ने भावुक होकर बताया कि सावन से प्रेरणा लेकर उन्होंने भी भारतीय सेवा में कदम रखा। “सावन हमेशा हमें कहते थे कि देश सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है,” रौशन की आंखें नम हो गईं।

गांव में जब तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर पहुंचा, तो शोक की लहर दौड़ गई। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी की आंखें नम थीं। सावन कुमार ने भले ही सांसें छोड़ दी हों, लेकिन उनका शौर्य और बलिदान हमेशा देशवासियों की स्मृतियों में अमर रहेगा।

रिपोर्ट- ऋषभ कुमार