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Finance News : अगर आप भी होम लोन प्रीपेमेंट करने का बना रहे प्लान, तो इन बातों पर ज़रूर करें विचार, वरना हो सकता है भारी नुकसान

Finance News : अगर आप भी होम लोन प्रीपेमेंट करने का बना रहे प्लान, तो इन बातों पर ज़रूर करें विचार, वरना हो सकता है भारी नुकसान

Patna : होम लोन की ज़्यादा लोन राशि और 30 साल तक का टेन्योर उसे अधिकांश उधारकर्ताओं के लिए एक बड़ी वित्तीय ज़िम्मेदारी बना देता है। इसके लंबे टेन्योर के कारण इसकी ब्याज लागत अक्सर लोन राशि से अधिक होती है। इसलिए, बहुत से होम लोन उधारकर्ता अपनी ब्याज लागत को कम करने के लिए लोन टेन्योर के दौरान आंशिक भुगतान कर अपनी ब्याज राशि को कम करने का प्रयास करते हैं। अगर आप भी होम लोन प्रीपेमेंट करने की सोच रहें है तो  कुछ महत्वपूर्ण बातों का ज़रूर ध्यान रखें:

1. EMI और लोन अवधि में से किसे करना है कम, ये तय करें 

होम लोन प्रीपे करते समय आपके पास दो विकल्प होते हैं। जिसमे या तो आप अपने लोन टेन्योर को कम कर सकते है या फिर अपने EMI को। यदि आप होम लोन टेन्योर को कम करने का विकल्प चुनते हैं तो आप लोन को जल्दी चुका सकेंगे और इसमें आपको कम ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा। वहीं अगर आपकी मौज़ूदा ईएमआई अधिक है और इससे अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ रहा है तो आप ईएमआई को कम करने का विकल्प चुन सकते हैं। पर ये भी ध्यान रहे की EMI कम करने से आपका लोन टेन्योर बढ़ेगा और साथ ही आपको लोन पर ज़्यादा ब्याज का भुगतान भी करना पड़ेगा।

2. ब्याज लागत पर बचत के लिए अपना होम लोन बैलेंस ट्रांसफ़र करें 

बैलेंस ट्रांसफर सुविधा के तहत उधारकर्ता अपने मौजूदा होम लोन की बकाया राशि को कम ब्याज दरों, बेहतर शर्तों और नियमों पर किसी अन्य बैंकों या HFCs में ट्रांसफर कर सकते हैं। कम ब्याज दर की वजह से ब्याज लागत में भी कमी आती है यानी कि आपको कम ब्याज राशि का भुगतान करना पड़ता है। होम लोन बैलेंस ट्रांसफर (HLBT) सुविधा विशेष रूप से उन उधारकर्ताओं के लिए उपयोगी है जिनकी क्रेडिट प्रोफाइल में सुधार हुआ है और अब वे कम ब्याज दरों पर होम लोन प्राप्त करने के योग्य हैं। क्योंकि हर बैंक की इंटरनल क्रेडिट असेसमेंट पॉलिसी अलग होती है, इसलिए एक आवेदक को बैलेंस ट्रांसफर पर दी जाने वाली ब्याज दरें भी एक बैंक से दूसरे बैंक में अलग हो सकती है। इसलिए अपना होम लोन ट्रांसफर करने से पहले विभिन्न बैंकों और HFCs की बैलेंस ट्रांसफर ब्याज दरों की तुलना https://www.paisabazaar.com/ जैसी ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केटप्लेस पर ज़रूर कर लें। इसके अलावा, होम लोन उधारकर्ताओं को अपने मौजूदा लोन को ट्रांसफर करने से पहले बैलेंस ट्रांसफर कैलकुलेटर का उपयोग करके ये देखना चाहिए की ब्याज लागत पर लगभग कितनी बचत की जा सकती है। अगर बैलेंस ट्रांसफर के दौरान लागू होने वाले विभिन्न शुल्कों को घटाने के बाद भी ब्याज लागत पर बचत नहीं हो रही है, तो आपको अपने होम लोन को ट्रांसफर नहीं करना चाहिए।

3.इमरजेंसी फंड से लोन प्रीपेमेंट न करें 

इमरजेंसी फंड आपको मुश्किल समय में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। आपात स्थितियों में इस फंड की मदद से आप अपने सभी ज़रूरी मासिक खर्चों जैसे लोन की EMI, घर का किराया, बीमा प्रीमियम, बच्चों की ट्यूशन फीस आदि को कुछ समय तक पूरा कर सकते हैं। इसलिए इमरजेंसी फंड से लोन का भुगतान करने से बचना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो मुश्किल समय में जब आपको पैसों की ज़रूरत होगी तब आपको अपने मौजूदा निवेशों जैसे: फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, म्यूचुअल फंड आदि को बंद करवाना पड़ सकता है या फिर उच्च ब्याज दरों पर लोन लेना पड़ सकता है।

4.ज़रूरी लक्ष्यों के लिए निर्धारित निवेशों का इस्तेमाल प्रीपेमेंट के लिए न करें 

कई मौजूदा होम लोन उधारकर्ता अपने लोन का भुगतान करने के लिए बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट फंड जैसे अपने महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्यों में निवेश की गई राशि का इस्तेमाल कर लेते है। हालांकि, ऐसा करने से उन्हें बाद में उन वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उच्च ब्याज दरों पर लोन लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इसलिए, ऐसे निवेशों का इस्तेमाल बस अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए करें या फिर तब जब आपके पास कोई और कोई विकल्प न हो। 

5. मौजूदा निवेशों के रिटर्न को ध्यान में रखें 

होम लोन की ब्याज दरें अन्य लोन जैसे कि पर्सनल लोन, लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज, लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी आदि की तुलना में सबसे कम होती हैं, लेकिन ये आमतौर पर फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस से मिलने वाले रिटर्न से अधिक होती हैं। तो अगर आपने शॉर्टशॉार्ट टर्म डेबिट फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट या अन्य फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट जैसे ऑप्शंस में निवेश किया है और यह निवेश किसी महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्यों या इमरजेंसी के लिए निर्धारित नहीं हैं, तो इनका इस्तेमाल आप होम लोन प्रीपेमेंट के लिए कर सकते हैं। हालांकि, उधारकर्ताओं को अपने इक्विटी फंड को रिडीम करने से बचना चाहिए, क्योंकि इन निवेशों से मिलने वाले रिटर्न आमतौर पर होम लोन की ब्याज दरों से बहुत अधिक होते हैं।

लेखक अंकित कुमार वित्त सलाहकार के तौर पर कार्यरत है

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