Union Budget 2025: केंद्रीय बजट 2025 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के लिए 63,500 करोड़ रुपये का आवंटन बरकरार रखा गया है। यह योजना भारत के भूमिधारक किसानों को वार्षिक 6,000 रुपये की प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसे तीन किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता है। पीएम-किसान योजना 2019 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य किसानों की आय में सुधार करना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
पीएम-किसान योजना: वित्तीय सहायता और पारदर्शिता
इस योजना के तहत हर साल पात्र किसानों को 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है, जो 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। सरकार ने इस योजना में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं, जिससे कि लाभ सीधे किसानों तक पहुँच सके। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त से नवंबर 2024 के बीच 10.32 करोड़ किसानों को इस योजना के तहत भुगतान प्राप्त हुआ।
बजट में वृद्धि की अटकलें
विशेषज्ञों का मानना था कि आगामी लोकसभा चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए इस योजना के बजट में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, बजट 2025 में सरकार ने इस योजना का आवंटन 63,500 करोड़ रुपये पर ही बरकरार रखा, जो पिछले वर्ष के बजट के समान है।
पिछले वर्षों में पीएम-किसान योजना का बजट और व्यय
पिछले वर्षों में पीएम-किसान योजना के लिए बजट आवंटन और वास्तविक व्यय में अंतर देखा गया है। नीचे दी गई तालिका इस योजना के तहत पिछले वर्षों के अनुमानित और संशोधित बजट को दर्शाती है:
वित्तीय वर्ष बजट अनुमान (₹ करोड़) संशोधित अनुमान (₹ करोड़)
2019-20 75,000 54,370
2024-25 63,500 –
किसानों के लिए बजट की स्थिरता
भले ही विशेषज्ञों ने बजट में वृद्धि की उम्मीद जताई थी, लेकिन सरकार ने पीएम-किसान योजना के बजट को स्थिर रखा। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि किसानों को नियमित वित्तीय सहायता मिलती रहेगी। यह योजना किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए।
केंद्रीय बजट 2025 में पीएम-किसान योजना
केंद्रीय बजट 2025 में पीएम-किसान योजना के लिए आवंटित 63,500 करोड़ रुपये से देश के करोड़ों किसान लाभान्वित होंगे। इस योजना के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता से किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है और उनकी आय में वृद्धि होती है। हालांकि, बजट में वृद्धि की अटकलें थीं, लेकिन सरकार ने इस योजना के लिए मौजूदा आवंटन को बरकरार रखने का निर्णय लिया।