Iran-Israel Ceasefire: मिडिल ईस्ट सीजफायर के बाद गिरी क्रूड ऑयल की कीमतें: जानिए क्यों टूटा बढ़ते दामों का सिलसिला
Iran-Israel Ceasefire: मिडिल ईस्ट में ईरान-इजरायल संघर्ष पर ट्रंप की सीजफायर घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट आई। जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी और बाजार पर असर।

Iran-Israel Ceasefire: मिडिल ईस्ट का भू-राजनीतिक माहौल हमेशा से वैश्विक तेल बाज़ार को प्रभावित करता रहा है।हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच छिड़े तनाव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल के दामों में भारी अस्थिरता पैदा की थी। विशेषज्ञों ने अनुमान जताया था कि अगर संघर्ष और बढ़ा, तो तेल की कीमतें 110-120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।
लेकिन हकीकत इससे उलटी रही — क्यों?
इसका उत्तर छिपा है सीजफायर की अप्रत्याशित घोषणा में जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर सार्वजनिक किया।
ट्रंप की घोषणा और बाजार की फौरन प्रतिक्रिया
ट्रंप की ट्रूथ सोशल पोस्ट किया कि अब समय है शांति का। ईरान और इजरायल दोनों सीजफायर पर सहमत हो गए हैं। अगले 12 घंटे में संघर्ष समाप्त होगा। इस घोषणा के तुरंत बाद WTI क्रूड ऑयल 5.1% गिरकर $65.02 प्रति बैरल पर आ गया।ब्रेंट क्रूड की कीमत भी लगभग 8% नीचे गिर गई।यह गिरावट इस लिहाज से भी खास है क्योंकि यह 12 जून के बाद सबसे निचला स्तर था — वही दिन जब इजरायल ने ईरान पर मिसाइल हमला किया था।
ईरान-इजरायल के बीच तनाव: शुरुआत और विराम
इस पूरे प्रकरण की शुरुआत हुई थी ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिका के हमले से। उसके जवाब में ईरान ने कतर स्थित अमेरिकी बेस पर मिसाइल दागे।हालांकि, इन जवाबी हमलों में जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ, जिससे तनाव की तीव्रता अपेक्षाकृत कम बनी रही। ऐसे में जब डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर का ऐलान किया, तो बाज़ार ने इसे बड़ी राहत के रूप में लिया।
OPEC+ की भूमिका और आपूर्ति की रणनीति
OPEC+ (Organization of the Petroleum Exporting Countries और उसके सहयोगी देश) ने पहले से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर ईरान से तेल की आपूर्ति में रुकावट आती है, तो अन्य देश सप्लाई जारी रखेंगे।"
क्या हुआ इसका असर?
बाज़ार को यह विश्वास मिल गया कि वैश्विक आपूर्ति में रुकावट नहीं आएगी।OPEC+ की संतुलन नीति ने तेल कीमतों को स्थिर रखने में मदद की।संकट के समय तेल की आपूर्ति को संभालने के लिए सामूहिक तैयारी बेहद कारगर साबित हुई।सीजफायर की घोषणा मात्र ने ही बाजार को राहत पहुंचा दी, जिससे साफ होता है कि तेल बाजार अटकलों और भावनाओं से बहुत प्रभावित होता है।निवेशकों के लिए यह एक संकेत है कि बाजार में तकनीकी विश्लेषण से ज्यादा भू-राजनीतिक स्थिरता मायने रखती है।