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रुपए के लिए अच्छी खबर, ऐसे टूटे एक एक कर सारे रिकॉर्ड

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस समय अपने सर्वोच्च स्तरों पर पहुंच चुका है और इससे देश की आर्थिक स्थिति में मजबूती दिखाई दे रही है। RBI के फॉरेक्स स्वैप, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में वृद्धि, रुपये की स्थिरता ने देश को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाया है

Indian Rupee
Indian Rupee- फोटो : Social Media


भारत के आर्थिक परिदृश्य में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव देखा गया है। 7 मार्च, 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बीते दो वर्षों की सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है, जब यह 15.26 अरब डॉलर के उछाल के साथ कुल 653.96 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह वृद्धि न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक उत्साहजनक संकेत है, बल्कि यह वैश्विक आर्थिक संकटों से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

क्या है इस वृद्धि का कारण?

इस अप्रत्याशित वृद्धि के पीछे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का 10 अरब डॉलर का फॉरेक्स स्वैप प्रमुख कारण है। 28 फरवरी को RBI ने इस स्वैप के तहत रुपयों के बदले डॉलर खरीदे, जिससे बाजार में रुपयों की तरलता बढ़ी और विदेशी मुद्रा भंडार में यह विशाल वृद्धि देखी गई। RBI के इस कदम से न केवल रुपये की स्थिरता बढ़ी, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की समृद्धि को भी बल मिला है।

फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में बड़ा इज़ाफा

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में इस वृद्धि का सबसे बड़ा योगदान फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में 13.99 अरब डॉलर की बढ़ोतरी से आया। FCA में यह वृद्धि अब 557.28 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। इसमें डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं के मूल्य में उतार-चढ़ाव का भी असर शामिल है, जो सीधे तौर पर भारत के भंडार को प्रभावित करता है। यह वृद्धि भारत के मौद्रिक स्थिरता और वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारे प्रभाव को दर्शाती है।

सोने के भंडार में गिरावट

हालांकि, इस दौरान भारत के सोने के भंडार में गिरावट भी देखी गई। सोने का भंडार 1.05 अरब डॉलर घटकर 74.32 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में बदलाव के कारण आई। फिर भी, सोने के भंडार में गिरावट के बावजूद, कुल भंडार में वृद्धि ने भारतीय रिजर्व बैंक की नीति को और प्रभावी बना दिया है।

स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) और IMF पोजीशन में बदलाव

भारतीय रिजर्व बैंक के भंडार में SDR (स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स) में भी वृद्धि हुई है, जो अब 21 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.21 अरब डॉलर हो गया है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत की रिजर्व पोजीशन में 6.9 करोड़ डॉलर की गिरावट आई है, जो अब 4.14 अरब डॉलर तक सीमित हो गई है।

रुपये के लिए स्थिरता और सुरक्षा

इस बढ़े हुए विदेशी मुद्रा भंडार से सबसे बड़ी राहत रुपये को मिली है। अधिक फॉरेक्स रिजर्व से रुपये की स्थिरता बनी रहती है और यह मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने में मदद करता है। जब भारतीय रुपये की स्थिति मजबूत रहती है, तो निवेशकों का विश्वास भी बढ़ता है, जिससे विदेशी निवेश के प्रवाह में बढ़ोतरी होती है। यह वृद्धि भारत के आर्थिक संकटों से निपटने की क्षमता को भी बढ़ाती है, क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक आर्थिक संकटों के समय एक सुरक्षा कवच का काम करता है।

भारत के आयात खर्च को पूरा करने में मदद

भारत के बढ़े हुए विदेशी मुद्रा भंडार का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह देश के आयात खर्च को पूरा करने में सहायक होता है। भारत बड़े पैमाने पर तेल, सोने और अन्य आवश्यक वस्तुओं का आयात करता है, और इन चीजों के लिए भुगतान करने के लिए मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार की आवश्यकता होती है। इस बढ़ोतरी से भारत के पास इन आयातों का भुगतान करने के लिए पर्याप्त भंडार है।

शेयर बाजार और वैश्विक दृष्टिकोण

पिछले सप्ताह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.78 अरब डॉलर की कमी आई थी, जो कि 638.69 अरब डॉलर तक गिर गया था। लेकिन इस सप्ताह की वृद्धि ने इस गिरावट को पूरी तरह से भर दिया, और अब भंडार 653.96 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा भारत के भविष्य की आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। इससे पहले, सितंबर 2024 में भारत का फॉरेक्स भंडार 704.88 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर था, जो कि अब तक का रिकॉर्ड है।

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