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जनवरी 2025 में भारत की इंडस्ट्रियल ग्रोथ ने छुआ 5% का आंकड़ा, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का रहा प्रमुख योगदान

जनवरी 2025 की इंडस्ट्रियल ग्रोथ के आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत हैं। हालांकि, कुछ सेक्टरों में मामूली गिरावट भी दिखी है, फिर भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की शानदार प्रदर्शन ने औद्योगिक विकास को मजबूत बनाए रखा है।

Industrial Growth
Industrial Growth- फोटो : Social Media

भारत की इंडस्ट्रियल ग्रोथ में जनवरी 2025 में जोरदार उछाल आया है, और यह आठ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में 5% की बढ़ोतरी देखी गई, जो जनवरी 2024 में केवल 4.2% थी। यह आंकड़ा आर्थिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि पिछले दिसंबर में यह आंकड़ा सिर्फ 3.2% था। लेकिन, इस शानदार प्रदर्शन के पीछे असल कारण क्या है? आइए जानते हैं कि किसने इस वृद्धि को संभव बनाया और किस सेक्टर में आई गिरावट।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का जबरदस्त प्रदर्शन

जनवरी में इंडस्ट्रियल ग्रोथ में बढ़ोतरी का मुख्य कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर रहा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का योगदान इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में तीन-चौथाई से भी ज्यादा है। इसने जनवरी में 5.5% की बढ़ोतरी दर्ज की, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह केवल 3.6% थी। मैन्युफैक्चरिंग में यह उछाल उद्योगों की मांग में सुधार और उत्पादन क्षमता में वृद्धि को दर्शाता है, जो इस समय भारत के आर्थिक रुझानों को सकारात्मक दिशा में ले जा रहा है।

माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी में मिला-जुला प्रदर्शन

हालांकि, अन्य सेक्टर्स में ग्रोथ के आंकड़े मिलेजुले रहे। माइनिंग सेक्टर ने जनवरी में 4.4% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले साल के इसी महीने में 6.0% थी। माइनिंग सेक्टर की वृद्धि में मामूली कमी आई, लेकिन यह फिर भी सकारात्मक संकेत है, जो भारतीय खनन उद्योग की रिकवरी को दिखाता है।

वहीं, इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में जनवरी 2025 में 2.4% की वृद्धि हुई, जबकि पिछले साल इसी महीने में इसमें 5.6% की वृद्धि देखी गई थी। यह आंकड़ा दर्शाता है कि बिजली उत्पादन की वृद्धि में ठंडे मौसम और अन्य बाहरी कारकों के चलते कमी आई है, जो औद्योगिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकते हैं।

यदि हम जनवरी के आंकड़ों का सेक्टर वाइज विश्लेषण करें, तो मैन्युफैक्चरिंग में 5.5% की वृद्धि पिछले दिसंबर के 3.4% से काफी बेहतर साबित हुई। माइनिंग में भी 4.4% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि दिसंबर में यह आंकड़ा 2.7% था। लेकिन इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में गिरावट आई, जो दिसंबर में 6.2% था, और जनवरी में यह घटकर 2.4% रह गया।

इसी तरह, प्राइमरी गुड्स (जो कच्चे माल और मूलभूत वस्त्रों का उत्पादन करते हैं) में जनवरी में 5.5% की वृद्धि देखी गई, जो दिसंबर के 3.8% से काफी बेहतर थी। हालांकि, कैपिटल गुड्स में गिरावट देखी गई, जो दिसंबर के 10.4% से घटकर जनवरी में 7.8% रह गई। यह संकेत देता है कि पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में मामूली मंदी आई है, जो बुनियादी ढांचे और भारी उद्योगों में संभावित धीमापन का संकेत हो सकता है।

कंज्यूमर गुड्स में मिश्रित प्रदर्शन

कंज्यूमर गुड्स के आंकड़े भी मिश्रित रहे। कंज्यूमर ड्यूरेबल गुड्स, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरणों में जनवरी में 7.2% की वृद्धि हुई, जो दिसंबर के 8.3% से कम थी। कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल गुड्स, जैसे खाद्य और पेय पदार्थों में केवल 0.2% की मामूली वृद्धि हुई, जो दिसंबर के 7.5% से एक बड़ी गिरावट को दर्शाता है। यह विशेष रूप से चिंताजनक हो सकता है क्योंकि यह संकेत करता है कि उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता या भावना में कमी आई है।

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