stock market crash: शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। निवेशकों के लाखों करोड़ डूब गए हैं और वे यह समझने में असमर्थ हैं कि आगे क्या करना चाहिए। यह 1996 के बाद पहली बार है जब निफ्टी में लगातार 5 महीने से गिरावट दर्ज की जा रही है। यानी 29 साल में निफ्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
सितंबर महीने में निफ्टी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 26,277.35 से 16% या 4,150 अंक टूट चुका है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कि:
विदेशी निवेशकों की बिकवाली
डॉलर के मुकाबले रुपये का टूटना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने की घोषणा
भारतीय कंपनियों के कमजोर परिणाम
भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी गति
इन सभी कारणों ने बाजार के भाव को दबा दिया है, जिससे बिकवाली लगातार जारी है। अब सवाल यह है कि क्या मार्च में यह गिरावट थम सकती है?
क्या मार्च में शेयर बाजार में तेजी आएगी?
अगर हम पिछले 10 वर्षों के मार्च महीने के आंकड़ों पर नज़र डालें, तो पता चलता है कि 7 बार बाजार में तेजी रही है। 2016, 2017, 2019, 2021, 2022, 2023, और 2024 में बाजार में उछाल देखा गया था, जबकि 2015, 2018, और 2020 में गिरावट के साथ बाजार बंद हुआ।
सबसे बड़ी तेजी 2016 में दर्ज की गई, जब विदेशी संस्थागत निवेशकों की खरीदारी के कारण निफ्टी में 11% की बढ़त हुई। वहीं, 2023 में सबसे कम 0.32% का रिटर्न रहा।हालांकि, 2020 में सबसे बड़ी गिरावट हुई थी, जब कोविड-19 महामारी के चलते मार्च में निफ्टी 23% गिरा और देशव्यापी लॉकडाउन लगा। इसके अलावा, 2015 में इंडेक्स में 4.6% और 2018 में 3.6% की गिरावट दर्ज की गई थी।
फरवरी में विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली
फरवरी के आखिरी दिन शुक्रवार को विदेशी निवेशकों ने भारी बिकवाली की, जो इस गिरावट का एक बड़ा कारण रही। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने एक दिन में सबसे बड़ी बिकवाली की और 11,639 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे। पूरे महीने में एफआईआई ने कुल 34,574 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।फरवरी में 20 कारोबारी सत्रों में से वे केवल दो दिन खरीदार रहे - 4 फरवरी और 18 फरवरी। इस दौरान 18 फरवरी को उन्होंने सबसे ज्यादा 4,786.6 करोड़ रुपये के घरेलू शेयर खरीदे थे।
5 महीने से जारी गिरावट
शेयर बाजार में पिछले 5 महीने से जारी गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि, मार्च का महीना आम तौर पर बाजार में तेजी लाने वाला होता है, पिछले आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। इसके बावजूद, विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली और वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका के चलते बाजार की दिशा अनिश्चित बनी हुई है।