देश के प्रमुख पब्लिक सेक्टर बैंकों में से एक, इंडियन बैंक लिमिटेड ने 14 मार्च 2025 को घोषणा की कि उसने आगामी 20 मार्च को अपने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक बुलाई है, जिसमें बैंकों की फंड जुटाने की योजना पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समय ऐसे समय पर आ रही है जब बैंक का प्रदर्शन पिछले कुछ महीनों में मजबूत दिखा है, लेकिन शेयर बाजार में इसके शेयरों में गिरावट जारी है।
फंड जुटाने का प्रस्ताव: क्या है इसके पीछे की रणनीति?
इंडियन बैंक ने अपने रेगुलेटरी फाइलिंग में यह स्पष्ट किया कि 20 मार्च को आयोजित होने वाली बोर्ड बैठक में बैंक की फंड जुटाने की योजना पर चर्चा की जाएगी। बैंकों के लिए फंड जुटाने की आवश्यकता आमतौर पर उनकी विस्तार योजनाओं, बकाया कर्ज, और पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio) को मजबूत करने के लिए होती है। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि क्या इंडियन बैंक अपने विस्तार के लिए पूंजी जुटाने का प्रयास कर रहा है, या फिर यह बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य को और मजबूत बनाने के लिए एक कदम हो सकता है।
तीसरी तिमाही के परिणाम: बडी वृद्धि, फिर भी शेयर में गिरावट
इंडियन बैंक ने 2025 की तीसरी तिमाही में शानदार मुनाफे की घोषणा की है। बैंक का मुनाफा पिछले साल की समान तिमाही के 2,119 करोड़ रुपये के मुकाबले 35% बढ़कर 2,852 करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा, बैंक की नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) में भी 10.3% की वृद्धि हुई है, जो कि 5,814 करोड़ रुपये से बढ़कर 6,415 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
इतना ही नहीं, बैंक की एसेट क्वालिटी में भी सुधार देखा गया है। ग्रॉस एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) 3.48% से घटकर 3.26% हो गए, जबकि नेट एनपीए 0.27% से घटकर 0.21% हो गया। यह बैंक की वित्तीय स्थिति को लेकर सकारात्मक संकेत देता है, क्योंकि बेहतर एसेट क्वालिटी बैंक की स्थिरता और जोखिम प्रबंधन क्षमता को दर्शाती है।
लेकिन इसके बावजूद, बैंक का शेयर प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। गुरुवार को बैंक का शेयर 0.58% की गिरावट के साथ 491 रुपये पर बंद हुआ, और पिछले एक साल में इसमें कुल 3.59% की गिरावट देखने को मिली।
क्यों गिर रहे हैं शेयर?
अब सवाल यह उठता है कि बैंक के मजबूत वित्तीय परिणामों के बावजूद, इसके शेयर में गिरावट क्यों आ रही है? एक संभावना यह हो सकती है कि निवेशक अभी भी भविष्य के लिए बैंकों की पूंजी जुटाने की योजना के प्रभावों को लेकर अनिश्चित हैं। जब कोई बैंक पूंजी जुटाने की योजना बनाता है, तो यह अक्सर उसके शेयरों की कीमत पर दबाव डाल सकता है, क्योंकि नए शेयर जारी होने से मौजूदा निवेशकों की हिस्सेदारी कम हो सकती है। इसके अलावा, बैंक के शेयर में गिरावट आर्थिक स्थितियों, बाजार की दिशा, और वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों के प्रभाव का भी परिणाम हो सकती है।
क्या उम्मीद की जा सकती है?
इंडियन बैंक द्वारा फंड जुटाने की योजना का उद्देश्य भविष्य में उसकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाना हो सकता है। यह कदम बैंक को आगे बढ़ने, नई योजनाओं में निवेश करने, और मजबूत पूंजी आधार तैयार करने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसे लेकर निवेशकों के बीच कुछ हद तक चिंताएं भी हो सकती हैं, खासकर अगर फंड जुटाने का तरीका शेयरों की संख्या में वृद्धि या कर्ज के रूप में हो।