US Tariff: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ऐलान से भारत में शेयर बाजार ध्वस्त: निवेशकों के 5 लाख करोड़ रुपये स्वाहा
US Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा से भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई। जानिए किन सेक्टरों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ और निवेशकों के लिए इसका क्या अर्थ है।

US Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे घरेलू शेयर बाजार में गुरुवार सुबह भारी गिरावट देखी गई। बाजार खुलते ही सिर्फ 15 मिनट में निवेशकों के करीब 5 लाख करोड़ रुपये डूब गए।
बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 5.5 लाख करोड़ रुपये घटकर 543.3 लाख करोड़ रुपये रह गया। इससे यह स्पष्ट है कि ट्रंप की नीति ने भारत के वित्तीय बाजार में जबरदस्त अस्थिरता पैदा कर दी।इस फैसले का सर्वाधिक प्रभाव ऑयल और गैस सेक्टर में देखने को मिला। इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, बीपीसीएल जैसे प्रमुख ऑयल स्टॉक्स लाल निशान पर कारोबार करते देखे गए।
किन शेयरों को लगा सबसे ज्यादा झटका?
ट्रंप के टैरिफ ऐलान का सबसे गंभीर असर निम्नलिखित शेयरों पर पड़ा:
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन
ओएनजीसी (ONGC)
बीपीसीएल (BPCL)
गुजरात गैस
महानगर गैस
इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारती एयरटेल, टाइटन, एसबीआई, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी बड़ी कंपनियों के शेयर भी गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे।
हालांकि कुछ कंपनियों ने हरे निशान में कारोबार किया, जैसे:
हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL)
एनटीपीसी (NTPC)
पावर ग्रिड
रुपया और विदेशी मुद्रा बाजार की प्रतिक्रिया
इस वित्तीय अस्थिरता का प्रभाव भारतीय रुपये पर भी पड़ा। डॉलर के मुकाबले रुपया 87.66 पर खुला और कुछ ही देर में 87.75 के निचले स्तर तक पहुंच गया। हालांकि दिन में 14 पैसे की रिकवरी देखने को मिली, जो कुछ हद तक स्थिरता का संकेत देती है।
सेंसेक्स और निफ्टी की गिरावट का पूरा आंकलन
30 अंकों वाला बीएसई सेंसेक्स लगभग 786 अंक टूटकर 80,695.50 पर पहुंच गया। वहीं एनएसई का निफ्टी 50 भी 212.8 अंकों की गिरावट के साथ 24,642.25 पर बंद हुआ।विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने बुधवार को 850.04 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले, जिससे बाजार पर अतिरिक्त दबाव बना।
वैश्विक आर्थिक नीतियों का भारतीय शेयर बाजार पर प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का सीधा अर्थ है—भारत से अमेरिका को भेजे जा रहे सामान पर अतिरिक्त टैक्स, जिससे भारतीय कंपनियों के निर्यात पर दबाव बढ़ेगा। इससे इन कंपनियों की प्रॉफिटेबिलिटी प्रभावित होगी और निवेशकों का विश्वास डगमगाएगा।ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति पहले भी चीन, यूरोप और मैक्सिको जैसे देशों पर प्रभाव डाल चुकी है। अब भारत इस नीति की चपेट में आ चुका है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है।